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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 5.3.15.6 श्री कुसुमश्रीजी (संवत् 1991-स्वर्गस्थ)
जन्म महेसाणा पिता मूलचंदभाई माता चंपाबहन, दीक्षा संवत् 1991 फाल्गुन शुक्ला 2 पालीताणा, गुरूणी-श्री चन्द्रयशाश्रीजी (माता) तप-सिद्धितप, 500 आयंबिल, 1024 सहस्रकूट के उपवास, 16 उपवास, वर्धमान तप, नवपद, वर्षीतप 3, अठाई आदि। अपने जीवन में 15 से अधिक जिन प्रतिमा भराई, शिष्या-प्रशिष्या-चंद्रकलाश्रीजी आदि 19 हैं।464 5.3.15.7 श्रीवसन्तश्रीजी (संवत् 1992- से वर्तमान)
जन्म संवत् 1979 रूपपुर में, दीक्षा संवत् 1992 वैशाख शुक्ला 10 पालीताणा में। तप-बीस स्थानक, सिद्धितप, मासक्षमण, अठाई, धर्मचक्र, शिष्याएँ श्री विनयप्रभाश्री, स्नेहलताश्रीजी, कल्पलताश्रीजी, सूर्यलताश्रीजी, धर्मरत्नाश्रीजी, हर्षपूर्णाश्रीजी, चंद्रगुणाश्रीजी, प्रियधर्माश्रीजी, नयतत्त्वज्ञाश्रीजी, नयनप्रभाश्रीजी, पुनीतधर्माश्रीजी, पीयूषपूर्णाश्रीजी, शीलपूर्णाश्रीजी, निर्मलप्रभाश्रीजी, मुक्तिरत्नाश्रीजी, राजरत्नाश्रीजी, प्रशांतपूर्णाश्रीजी, हितदर्शिताश्रीजी, सम्यग्दर्शिताश्रीजी आदि।465
5.3.15.8 श्री विनयेन्द्र श्रीजी (संवत् 1993-2037)
जन्म संवत् 1978 माणसा, दीक्षा संवत् 1993 माघ कृष्णा 11 साणंद। शांत प्रकृति की सरल महासाध्वी संवत् 2037 साबरमती में कालधर्म को प्राप्त हुईं। शिष्या प्रशिष्याएँ-श्री किरणलताश्रीजी, तत्त्वगुणाश्रीजी, तीर्थरत्नाश्रीजी, शासनरत्नाश्रीजी, संयमरत्नाश्रीजी आदि।466
5.3.15.9 श्री विबोधश्रीजी (संवत् 1994-स्वर्गस्थ)
जन्म संवत् 1974 सालेड़ा जिला महेसाणा, पिता श्री डोसाभाई, पनि श्री मणिलाल, दीक्षा संवत् 1994 माघ कृष्णा 6 महेसाणा। दो विदुषी शिष्याएँ - प्रथम श्री प्रबोधश्रीजी, ये शमशेरबहादुर वाले शाह केशव लाल सवाईभाई अमदाबाद वालों की धर्मपत्नी थीं, संवत् 2007 कार्तिक कृष्णा 6 के दिन दीक्षा ग्रहण की। द्वितीय श्री प्रियलताश्रीजी ये मूलचंदभाई और हीरीबहन अमदाबाद वालों की सुपुत्री थी, संवत् 2009 में दीक्षित हुईं। तप-अठाइयाँ, चत्तारि अट्ठ दस दोय, 16, 10, 9, 4 उपवास, आयंविल की अलूणी 11 ओली, वर्धमान तप की 11 ओली, बीस स्थानक, रत्नपावडिया आदि विविध तपस्याएँ की। अनेक धार्मिक प्रसंग इनकी प्रेरणा से सफल रूप से आयोजित हुए जैसे-दीक्षा-महोत्सव, उजमणां, उपधान, 325 भगवंतों का अंजनशलाका महोत्सव, 11 पाठशालाएँ, गृह मंदिर, उपाश्रय, वटवा में जिनमंदिर निर्माण, घंटाकर्ण, नाकोडाजी, पद्मावती, सरस्वती आदि देरीओं की स्थापना, छ' री पालक वटवा से पालीताणा संघ, वटवा में 21 भगवान की अंजनशलाका प्रतिष्ठा, धर्मशाला, भोजनशाला, नीलगार्डन तथा वटवा में महावीर जैन आश्रम। 67
464. वही, पृ. 751-52 465. वही, पृ. 753 466. वही, पृ. 762-63 467. वही, पृ. 753-55
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