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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ
5.3.11.40 श्री नयप्रज्ञाश्रीजी (संवत् 2027 से वर्तमान)
आपने अठाई, 11, 16 उपवास, मासक्षमण, नवपद ओली, बीस स्थानक, वर्धमान तप की 85 ओली, की। यात्रा-शत्रुजय और गिरनार की 99 यात्रा, चौविहारी छ8 से सात यात्रा, कई जैन तीर्थों की यात्रा।425
5.3.11.41 श्री सुरमालाश्रीजी (संवत् 2028 से वर्तमान)
दीक्षा संवत् 2028, तप्र- 8, 16, उपवास, नवपद ओली, बीस स्थानक, मासक्षमण, वर्धमान तप की 30 ओली। कई जैन तीर्थों की यात्रा।426
5.3.11.42 श्री तत्त्वदर्शिताश्रीजी
दीक्षा सूरत में, तप - 8, 16, मासक्षमण, सिद्धितप, वर्षीतप, नवपद ओली, वर्धमान ओली आदि तप, तीर्थयात्रा 10 उपवास के साथ।427 5.3.11.43 श्री स्मितप्रज्ञाश्रीजी
अठाई, वर्षीतप, नवपद ओली, वर्धमान तप की 15 ओली, सिद्धितप।428
5.3.11.44 श्री विरागयशाश्रीजी (संवत् 2045 से वर्तमान)
जन्म संवत् 2018 जामनगर, पिता अमृतलाल मेहता, माता लीलावती बहन, दीक्षा संवत् 2045 पोष कृष्णा 11 बुधवार कुवाला ग्राम में श्री नयप्रज्ञाश्रीजी की शिष्या। तप : 5,7,8,9, 11 उपवास, नवपद ओली, उपधान, बीस स्थानक, वर्धमान तप ओली।429
5.3.12 आचार्य श्री विजयलब्धिसूरीश्वरजी के समुदाय की श्रमणियाँ
तपागच्छ के शतशाखी विशाल श्रमणी-समुदाय में आचार्य श्री विजयलब्धिसूरिजी महाराज के समुदाय की श्रमणियाँ अपनी ज्ञान गरिमा, संयम साधना एवं तप आराधना में एक विशिष्ट पहचान बनाये हुए हैं, इस समुदाय में जहां जैनधर्म व अध्यात्म की गहन अध्येता विदुषी श्रमणियाँ हैं, वहीं वर्धमान तप की 101 ओली पूर्ण करने वाली तपस्विनी महासाध्वियाँ भी हैं। वर्तमान में इस समुदाय की 208 साध्वियाँ आचार्य विजय अशोकरत्नसूरिजी की आज्ञा में विचरण कर रही हैं, हम यहाँ अतीत एवं वर्तमानकालीन उपलब्ध श्रमणियों का उल्लेखनीय व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रस्तुत कर रहे हैं। 425. वही, पृ. 642 426. वही. पृ. 643 427. वही, पृ. 643 428. वही, पृ. 643 429. वही, पृ. 643
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