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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
वर्ष, पुष्पांजलि 5 वर्ष, अष्टाझिक 8 वर्ष, लब्धिव्रत 5 वर्ष, कर्मदहन 153 उपवास, पंचमेरू, तीन चौबीसी व विद्यमान बीस तीर्थकर के 780 उपवास, चारित्र शुद्धि के 1234 उपवास, जिनगुणसंपत्ति के 63 उपवास, पंच परमेष्ठी के 143 उपवास, रत्नत्रय, मुक्तावली, कनकावली, सर्वदोष प्रायश्चित् आदि अनेक दीर्घ एवं कठोर तपाराधाना की, साथ ही अनेक ग्रंथों का पारायण किया।210
4.9.58 श्री विमलमती माताजी (संवत् 2048)
आपका जन्म 9 जुलाई 1951 को आरा (बिहार) निवासी श्रीमान् चन्द्ररेख कुमार जी अग्रवाल के यहां हुआ। आपने 'जैन बालाश्रम आरा' में रहकर संस्कृत में बी.ए. ओनर्स (बी. ए., बी. एड) तक किया, धार्मिक प्रशिक्षण से वैराग्य ज्योति प्रज्वलित हुई तो आजीवन शूद्रजल का त्याग एवं ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार कर लिया, आर्यिका दीक्षा के पूर्व दूसरी प्रतिमा, सप्तमप्रतिमा एवं क्षुल्लिका दीक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ती हुई आपने 28 मई 1991 को मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र पर गणिनी विजयमती माताजी से आर्यिका दीक्षा अंगीकार की। . आपने नमस्कारमंत्र, भक्तामर, चारित्र शुद्धि, जिनगुण सम्पत्ति, कर्मदहन आदि की तपस्याएँ की हैं। साथ ही अनेक ग्रंथों का प्रणयन भी किया है-पर्युषण पर्व, तीर्थंकर बनने का मंत्र, आराधना सार (हिंदी टीका), विजय स्तोत्र एवं गणिनी विजयमती माताजी के अभिवंदन ग्रंथ का संपादन आदि महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना व संपादन कार्य किया है। आप 'सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका' की उपाधि से विभूषित हैं।। 4.9.59 आर्यिका श्री नमनश्री माताजी (संवत् 2049) ___ आपका जन्म आसाढ़ शुक्ला 9 संवत् 2031 में श्री ख्यालीलाल जी गंगावत अहमदाबाद निवासी के यहां हुआ। घर पर रहते हुए आपने छह ढाला (चार भाग), द्रव्य संग्रह, रत्नकंड श्रावकाचार तत्त्वार्थसूत्र, सर्वार्थसिद्धि, कर्मकाण्ड आदि का अध्ययन किया वैराग्य भाव प्रस्फुटित होने पर आचार्य विमलसागर जी से आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत अंगीकार किया, और महावीर जयंति संवत् 2049 को श्री बालाचार्य नेमिसागर जी म. से फिरोजाबाद (उ. प्र.) में आर्यिका दीक्षा ग्रहण की। आप गणिनी विजयमती माताजी के संघ की विदुषी आर्यिका हैं, जिनेन्द्र भक्ति, गुरूभक्ति, स्वाध्याय में सदा लीन रहती हैं।12 4.9.60 आर्यिका श्री विजयप्रभा माताजी (संवत् 2050)
आप जबलपुर (म. प्र.) के श्री मदनलाल जी नायक (परवार) की सुपुत्री हैं। आपने बी. ए. तक लौकिक शिक्षा प्राप्त कर 4 अक्टूबर विजयादशमी ई. 1984 में क्षुल्लिका दीक्षा अंगीकार की, तत्पश्चात् 31 वर्ष की वय में संवत् 2050 को डुंगरपुर में गणिनी विजयमतीजी के पास आर्यिका दीक्षा अंगीकार की। आपने ज्ञान एवं तप से अपने संयमी जीवन को निखारा है। णमोकारमंत्र, भक्तामर, दशलक्षण, पंचमेरू, तत्त्वार्थसूत्र, जिनगुण संपत्ति के तप एवं उद्यापन भी किया है। वर्तमान में चारित्रशुद्धिव्रत कर रही हैं।213
210. पत्राचार से प्राप्त सामग्री के आधार पर 212. पत्राचार से प्राप्त
211. पत्राचार से प्राप्त 213. पत्राचार से प्राप्त
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