Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० ३३६-३५७ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
११-भरोंच नगर से प्राग्वटवंशीय मन्त्री जल्हण ने श्री शत्रुजय का सङ्घ निकाला। १२-पोतनपुर से प्राग्वटवंशीय महरा ने श्री शत्रुजय का सच निकाला। १३--कोरंटपुर के श्रीमालवंशीय शाह देदा ने श्री शत्रुजय का सच निकाला। १४-भिनामाल के श्रेष्टि गौत्रीय शाह चैना ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला। १५-जावलीपुर के अदित्य नाग गौत्रीय शाह भुरा ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला। १६-शिवगढ़ के श्रेष्टि गौनीय मन्त्री खूमाण युद्ध में काम आया उनकी स्त्रिी सती हुई । १७-चाव का वापनाग गौत्रीय शाह सूघा युद्ध में मारा गया उनकी दो स्त्रिां सती हुई। १८-मेदनीपुर का भाद्र गौत्रीय नागयण युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई । १९--डिडु नगर का तप्तभद्र गौत्रीय गुणपाल युद्ध में काम पाया उनकी दो स्त्रिां सती हुई। २०-चन्द्रावती का प्राग्वट मन्त्री हाथी युद्ध में मारा गया उसकी स्त्री सती हुई । २१ उपकेशपुर का श्रेष्टि वीर वीरम युद्ध में मारा गया उसकी स्त्री सती हुई। २२-शक्खपुर का विरहट गौत्रीय वीर जाल्हण युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई। २३-खटकुंप के चरड गौत्रीय शाह तेजा युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई। २४--जंगालु के कनोजिया शाह कुका युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई ! २५---सत्यपुर के भीमाल वंशी दूधा युद्ध में काम श्राया उसकी स्त्री सती हुई। २६-पीपाणा का श्रेष्टि गौत्रीय रावल की विधवा पुत्री ने एक तलाब खुदाया। २७ --नारदपुरी के प्रारपट लाखा ने वि० सम्वत ३४७ दुकाल में शत्रुकार दिया। २८-कीराटकुंप के कुलभद्र गौत्रीय शाह नेना ने ३४७ दुकाल में शत्रुकार दिया । २९-हपुर का बलाह गौडीय भीम ने सम्वत ३४७ शत्रुकार तथा पशुओं ने घास देकर दुकाल को सुकाल बना दिया।
भीमा रे घर भुलो आवे अन्न जल घास तुरत हो पावे ।
भीम भीम में अन्तर न आणो, कलि नहीं पर सतयुग जाणो॥ प्राचार्य श्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएँ । १-- विजयपहन के अदित्यनाग० धरण ने भ. महावीर म० प्र० १-भिन्नमाल के बाप्पनाग गौ० अजरा ने , , , , ३- सत्यपुर के श्रीमाली वंशी गोपाल ने , पार्श्व , , ४--सोढेराव के प्राग्वट वंशो रहाप ने , ५-चन्द्रपुर के घरड़ गोर जोरा ने ६ गजपुर के मल्ल गौ० दोला ने
ने , सुपार्प ,, ७-रेणकोट के भूरि गौ० साहा ने , चन्द्र०,, , ८-रेवाड़ी के पोकरणा गोर दुरगा ने , महावीर , , ९-हालड़ी के डिडुगौत्र
चंचग ने चंचग
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[ मरीश्वरजी के शासन में प्रतिष्ठाएँ
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