Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि०सं० ३३६-३५७ वर्ष
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
दर्शन स्पर्शन कर सब लोगों ने अपना अहोभाग्य समझा । अष्टान्हिका महोत्साव ध्वजारोहणादि के पश्चात् शाह दुर्गा ने संघपति की माला अपने ज्येष्ठ पुत्र कुंभा को पहना दी और आपने एकादश नरनयिों के साथ सूरिजी के चरण कमलों भगवति जैनदीक्षा स्वीकार करली । इस सुअवसर पर सूरिजी ने उन मुमुक्षुओं की दीक्षा के साथ अपने शिष्यों में से मुनि पूर्णनन्दादि पांच साधुओं को उपाध्याय पद राजसुन्दरादि ५ साधुओं महत्तर पद कुँवारहंसादि पांच साधुओं को पण्डित पद प्रदान किया। बाद संघ शाह कुंभा के संघपतित्व में वापिस लौट कर चन्द्रावती आया।
सरिजी महाराज ने कई अर्सा तक तीर्थ की शीतल छाया में निर्वृति का सेवन किया बाद विहार कर सौराष्ट्र भूमि में सर्वत्र भ्रमण कर धर्म जागृति एवं धर्म का प्रचार बढ़ाया इत्यादि अनेक प्रान्तों में घूम कर अपने पूर्वजों की स्थापित की हुई शुद्धि की मशीन को द्रुतगति से चलाकर हजारों लाखों मांस भक्षियों को जैनधर्म की शिक्षा दीक्षा देकर उनका उद्धार किया। कई मंदिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएँ करवाई। कई मौलिक प्रन्थों का भी निर्माण किया और अपने कच्छ सिन्ध में विहार कर पंजाब की भूमि को पावन की । कई अर्सा तक वहाँ विहार कर जैनधर्म की प्रभावना की तत्पश्चात् हस्तनापुर मथुरादि तीर्थों की यात्रा कर बुदेल खण्ड एवं आवन्ति मेदपाट होते हुये मरुधर में पधारे । श्रापके आज्ञावृति साधु साध्वयों की संख्या बहुत थी। अपने भी कई नरनारियों को दीक्षा थी अतः वे साधु साध्वियों प्रत्येक प्रान्त में विहार करते थे। अपने अपने २१वर्षों के शासन में जैनधर्म की खूब सेवा बजाई। अन्त में आप उपकेशपुर पधारे और कुमट गौत्रिय शाह लाधा के मह महोत्सव पूर्वक तथा देवी सच्चायिका की सम्मति से उपाध्याय पूर्णनन्द को आचा र्यपद से विभूषित कर अपना सर्व अधिकार नूतन प्राचार्य देवगुप्तसूरि को सौंप कर श्राप अन्तिम सलेखना में लगगये और अन्त में १६ दिन का अनशन कर समाधि पूर्वक स्वर्ग पधारे।
प्राचार्य श्री के शासन में भावुकों की दीक्षा १- चन्द्रावती के उपकेश वंशीये रामादि कई भावुकों ने सूरिजी से दीक्षा ली २-चुड़ा के प्राग्वट वंशीये विमला ने ३-पद्मावती के प्राग्वट वंशीय थेरू ने ४-गरोली ग्राम के श्रीमाल शाह सुखा ने ५-टेली प्राम के सुचंति गौत्रीय ,, मादा ने ६-वडवोली के भूरि गोत्रीय , आदू ने ७-उपकेशपुर के श्रेष्टि गौत्रीय ,, कुम्पा ने ८-नागपुर के बाप्पनागगौत्रीय ,, बागा। ९-जंगालु के भाद्र गौत्रीय ,, भीमा १०-जसोली के चरड गौत्रीय , देवा ११-शंखपुर के चोरलिया गौत्रीय,, जोगड़ ने १२-हारदा के कुम्मट गौत्रीय , नोंधण ने
१३-घोघा के कनोजियागोत्रीय ,, लाधा ने ७७२
[ सरिजी के शासन में भावुकों की दीक्षाएँ
CATEIN AME
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