Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य कक्कर का जीवन ]
१४ - भरोंच
१५ - भीयाणी
१६ – भुजपुर
१७ - वीरपुर
१८ - खोखर
१९ - नरवर २०
के मल्ल गौत्री
के सुघड़ गौत्रीय
के तप्तभट्ट गोत्रीय
करागी
- कीराटकुम्प के अदित्य नाग गौ०
के श्रेष्टिगोत्रीय
२१- मथुरा २२- मीमावती के कुलभद्र गौत्रीय २३-विसट
के विरहगोत्रीय
के सोनावत गौत्रीय
२४ - चन्देरी २५ - मांडव्यपुर के सुसाणिया गौत्रीय २६-- मधुमति के भाद्रगोत्रीय २७---मधिमा नाग गौत्री २८-- ठाकुरपुर के डिडुगौत्रीय
२९- दशपुर ३० --- देवली
के वोहरागोत्रीय केष्टिग
३१ - देवपटूटन के प्राग्वटवंशीगोत्रीय
३२ --- कानड़ा के राव क्षत्री गौत्रीय
के चिचटगौत्रीय शाह सारंग ने
के मोक्षगौत्रीय
शोभा ने
करमण
ने
रांगा ने
माथुर में
फागु
ने
पेथा ने
कल्याण
सूपण ने
हरदेव ने
देसल ने
हाला ने
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सूरिजी के शासन में संघादि सद्कार्य ]
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हरराज ने
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करमाण ने
" नारायण ने
पन्ना ने
सूघा ने
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डुगर मे
भैसा ने
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[ औसवाल संवत् ३३६-३५७
सूरिजी से
दीक्षाली
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९ - तक्षशिला से करणाट गौत्रीय शाह रावल ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला । १०- देवपट्टन से श्रेष्ट गौत्रीय मंत्री गोकल ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला |
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पूज्याचार्य देव के
शासन में सद्कार्य्य
१.
- नागपुर के अदित्यनाग गौत्रीय शाह दीपा ने श्री उपकेशपुर स्थिति भगवान् महावीर की घरी पाली संघ निकाला साधर्मी भाइयों को स्वामिवात्सल्य एवं एक एक सुवर्ण मुद्रिका की पहरामणी दी । इस स ंघ में शाह दीपा ने एक लक्ष द्रव्य व्यय कर शुभ कर्मों का संचय किया ।
२ - उपकेशपुर का श्रेष्ट गौत्रीय शाह रावल ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला । ३ - सौपार पाटण का बलाह गौत्रीय शाह राणा ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला । ४ - मांडवगढ़ के मोरक्ष गौत्री मंत्री नागदेव ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला । ५ - दशपुर के सुचंति गौत्र का शाह भारमल ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला । ६ - वीरपुर के भूरि गौत्रीय शाह भाला ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला ।
- चंदेरी के कुम्मट गौत्रीय शाह कल्हण ने श्री शत्रुंजय का सङ्घ निकाला ।
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८ - लोहाकोट के बाप नागगोत्रीय मंत्री रणवीर ने श्री सम्मेतशिखरजी का सङ्घ निकाला |
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