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दुष्टाधिप होते दण्डपरायण- - १
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है । प्रायः वर्तमान अधिकारी वर्ग सैर-सपाटे और मौज-शोक करते हैं, उद्घाटन, भाषण और चाटन की त्रिवेणी में स्नान करते हैं, जनता के कार्यों के प्रति आंखमिचौनी करते रहते हैं । आज जनता को न्याय सस्ता, शीघ्र और सुलभ नहीं मिल पाता, उसकी सुरक्षा का खास कोई प्रबन्ध नहीं है । आये दिन जनता को भ्रष्टाचारी अफसर और सरकारी कारिंदे लूटते रहते हैं, उसकी ओर प्रायः उनका ध्यान नहीं है, उनका ध्यान है, सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने की ओर । फिर भी इस घोर अन्धकारमय राष्ट्राकाश में कोई न कोई टिमटिमाता नक्षत्र मिल ही जाता है, उसी अधिकारी को सच्चे माने में अधिप कहा जा सकता है, जो कभी किसी से रिश्वत नहीं लेता, अपनी सुख-सुविधा न देखकर जनता का कार्य पहले करता है ।
जिस समय सौराष्ट्र की स्वदेशी सरकार बनी थी, उस समय वहाँ के मुख्यमन्त्री थे— उ० न० ढेंबर | ढेबर भाई निरभिमानी निश्छल एवं सरलात्मा थे । उन्होंने यह नियम बना लिया था कि प्रातःकाल का दो-तीन घण्टे का समय वे अपनी सुखसुविधाओं में न लगाकर जनता की सेवा में लगाएँगे, जो भी व्यक्ति अपनी कोई भी समस्या, प्रश्न या फरियाद लेकर आयेगा, उसे वे ध्यान से सुनेंगे, और उसका हल शीघ्र ही करेंगे । कहना न होगा कि श्री ढेबर भाई ने, जब तक वे मुख्यमन्त्री रहे, अपने इस कर्तव्य का पालन बहुत चुस्ती से किया ।
एक और उदाहरण लीजिए अधिप की कर्तव्यनिष्ठा का । हरियाणा के तत्कालीन उपमन्त्री श्री केसरराम ने एक किसान की शिकायत सुनकर तत्काल उसका जिस तरह से फैसला किया, वह सराहनीय तो है ही, आदर्श भी है । उपमन्त्री आम जनता की शिकायत सुन रहे थे कि एक किसान ने खड़े होकर कहा - "साहब ! मेरे पास ११ कनाल जमीन है, परन्तु मुझसे १८ कनाल जमीन का आबियाना ( सिंचाई - कर) वसूल किया जाता है ।"
शिकायत सुनने के बाद आमतौर पर मन्त्रियों का तरीका यह होता है कि वे अपने निजी सचिव को आदेश दे देते हैं, कि लिखित अर्जी या मौखिक रूप से की गई शिकायत को आवश्यक कार्यवाही के लिए तत्सम्बद्ध विभाग के पास भेज दिया जाये । शिकायत करने वालों के सन्तोष के लिए उन्हें सूचित कर दिया जाता है । शिकायत की जाँच प्रायः नहीं होती । मन्त्री केवल भला बन जाता है और जनता को शिकायत सुनने का सन्तोष मिल जाता है । परन्तु केसरराम ( उपमन्त्री) ने इससे भिन्न तरीका अपनाया । तुरन्त जरीब लेकर वे किसान के साथ चल दिये, स्वयं जमीन की पैमाइश की और यह देख लेने के बाद कि किसान की शिकायत सही है, पटवारी का तबादला करने और मामले की जाँच करने का आदेश दिया ।
वर्षों पहले केन्द्रीय मन्त्री श्री रफी अहमद किदवई ने अवश्य मौके पर जाकर मामले की जाँच करके तत्काल कार्यवाही करने की कुछ मिसालें कायम की थीं ।
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