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आनन्द प्रवचन : भाग १०
इसलिए प्रत्येक क्षेत्र के अधिप (अधिकारी) को अपने में सत्य, अहिंसा, सेवा, दया, क्षमा, शान्ति अदि सद्गुणों को बढ़ाने एवं प्रत्येक मनुष्य से गुण ग्रहण करने का प्रयत्न करना चाहिए। व्यर्थ के आडम्बर, टीप-टाप, साज-सज्जा आदि से कोई भी व्यक्ति महान् या अधिपति नहीं बन सकता।
कौरवों और पांडवों में युधिष्ठिर को सर्वाधिक सम्मान मिलता था। दोनों ही उन्हें अपने परिवार का ज्येष्ठ, प्रमुख या नेता मानते थे, क्योंकि वे सबके विश्वासपात्र थे। उनके जीवन में अनेक गुण विकसित हो चुके थे। महाभारत में उन्होंने स्वयं कहा है
सत्यं माता, पिता ज्ञानं, धर्मो भ्राता, दया सखा ।
शान्तिः पत्नी, क्षमा पुत्रः, षडेते मम बान्धवा ॥ -मेरी दृष्टि में मेरे सगे सम्बन्धी ये ६ सद्गुण हैं—सत्य मेरी माता है, ज्ञान मेरा पिता है, धर्म मेरा भाई है, और दया मेरा मित्र है, शान्ति मेरी पत्नी है और क्षमा पुत्र है।
इन शब्दों में युधिष्ठर ने स्वीकार किया है कि गुण ही मनुष्य के सच्चे हितैषी हैं वे ही उसे ऊँचा उठाते हैं, समय पर सहायक बनते हैं और महानता या आधिपत्य की जड़ को सुदृढ़ करते हैं । सद्गुण जिस अधिप की सम्पत्ति है, वह चाहे बाह्याडम्बर, प्रदर्शन या दिखावा न करे तो भी लोग उसके हो जाते हैं। लोग उसके न चाहते हुए भी स्वतः उसे अपना प्रमुख, अध्यक्ष या अधिपति बना देते हैं। इसीलिए सच्चे अधिप की दृष्टि गुणवृद्धि एवं गुणग्रहण करने पर होगी; आडम्बर, प्रदर्शन आदि में नहीं। कर्तव्यनिष्ठ ही सच्चा अधिप है
अधिप कहें, अधिकारी कहें, बात एक-सी है । अधिप वही सच्चा होता है, जिसकी दृष्टि कर्तव्य पर हो, अधिकारों पर नहीं। जब वह कर्तव्य-पालन करेगा तो अधिकार तो स्वतः ही उसे प्राप्त हो जायेंगे, परन्तु उसे अधिकारों की चिन्ता नहीं होनी चाहिए । जो अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता, किन्तु सिर्फ अपने अधिकार चाहता है; उसकी एक कवि ने खूब भर्त्सना की है
अधिकारपदं प्राप्य, कार्य नैव करोति यः।
अकारो लुप्ततां याति, ककारो द्वित्वतां व्रजेत् ॥ -जो अधिकारी अधिकार और विशिष्ट पद पाकर तदनुरूप कार्य बिल्कुल नहीं करता, करता है तो ऊटपटाँग काम करता है, उस अधिकारी के आदि का अकार लुप्त हो जाता है और ककार डबल हो जाता है, अर्थात्-अधिकार के बदले उसे फिर 'धिक्कार' मिलता है।
वास्तव में अधिकारी का अर्थ ही यह है कि जो अधिकाधिक कार्य करता है । परन्तु आज के अधिकारी जनता का कार्य कितना करते हैं, यह किसी से छिपा नहीं
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