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आनन्द प्रवचन : भाग १०
कारण तेल के अभाव में पछताते रहे । अपनी बिनमांगी सलाह देने के कारण दुःखी हो गये।
वस्तुतः मूर्ख अपनी खराब आदतों के कारण बार-बार दुःखी होता रहता है। एक विचारक ने मूर्ख की १२ खराब आदतें बताई हैं, जिनके कारण वह बहुतसी आफतें मोल ले लेता है । १२ दोषपूर्ण आदतें ये हैं
(१) भगवान को भूल जाना। (२) समय का मूल्य न समझना। (३) अपने को बड़ा और बुद्धिमान मान बैठना । (४) आपस में बातें करते हुए लोगों के बीच में जा बैठना । (५) बड़े आदमियों की मजाक उड़ाना । (६) अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च करना । (७) सभा में ऊँची जगह बैठने की कोशिश करना । (८) बहुत बोलना और ऐसा बोलना जो दूसरों को अखरे ।
(९) दूसरों से मीठे बोलकर उधार ले लेना, लेकिन उसे चुकाने की चिन्ता न करना ।
(१०) किसी के भोज में बिना न्यौते के ही जा पहुँचना । (११) किसी के यहाँ अतिथि बनकर उस घर के मालिक पर हुकुम चलाना। (१२) स्त्रियों के अंग-प्रत्यंग देखने की चेष्टा करना।
अगर मूर्ख इन बारह दोषयुक्त आदतों को छोड़ दे तो अनायास ही बहुत-सी आफतों से बच सकता है । परन्तु मूर्ख को कितना ही समझाया जाय, वह अपनी आदत से बाज नहीं आता।
इन सबसे भी भयंकर मूर्ख-वज मूर्ख वे हैं, जो व्यर्थ ही जरा-जरा सी बात पर कुपित हो जाते हैं । जब देखो तब भौंहें तनी हुई और आँखें लाल रहती हैं, या जरा-सी प्रतिकूल बात पर वैसी हो जाती हैं। कोप ही ऐसे मूों का शस्त्र है, जिससे वे दूसरों पर अपना रौब जमाना और दवाब डालना जानते हैं। मूर्ख मनुष्यों के कुपित होने के कारण
मूर्ख मनुष्यों के कुपित होने के कई कारण हैं, एक कारण है-वाद-विवाद ।
कई दफा मूर्ख लोग अपने मूल कार्य को छोड़कर व्यर्थ के वाद-विवाद में पड़ जाते हैं, जिससे समय बेकार चला जाता है, जो काम करना है, वह होता नहीं और व्यर्थ की तकरार बढ़ जाती है । वह तकरार कभी-कभी इतना उग्र रूप धारण कर लेती है कि उसमें से परस्पर गाली-गलौज, अपशब्द और हाथापाई तक नौबत आ जाती है, काम तो काम के ठिकाने धरा रह जाता है और यह नया बबंडर और पैदा हो
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