Book Title: Anand Pravachan Part 10
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 371
________________ पतिव्रता लज्जायुक्त सोहती ३४७ "जो नित्य पवित्र है, गुणों की सौरभ से सुगन्धित है, नित्य प्रियभाषिणी है, अल्पाहार करती है, बहुत ही नपा-तुला बोलती है, वह नारी मानुषी नहीं, देवी है।" पश्चिम के महान विचारक जेरेमी टेलर (Jeremy Taylor) भी श्रेष्ठ पत्नी के सम्बन्ध में यही बात कहते हैं "A good wife is heaven's last best gift to man-his gem of many virtues, his casket of jewels, her voice is sweet music, her smiles his brightest day, her kiss the guardian of his innocence, her arms the pale of his safety, her industry his surest wealth, her economy his safest steward, her lips his faithful counsellors, her bosom the softest pillow of his cares." "एक अच्छी धर्मपत्नी पुरुष के लिए स्वर्ग की अन्तिम श्रेष्ठ भेंट है, वह अनेक गुणों की मणि (रत्न) है, वह उसके गुणरत्नों की पिटारी है, उसकी वाणी मधुर संगीत है, उसका हास्य पुरुष का सबसे शानदार दिन है, उसका चुम्बन उसके निर्दोष बच्चों का संरक्षक है, उसकी भुजाएँ उसकी सुरक्षा की सीमा है, उसकी मेहनत पुरुष की निश्चित सम्पत्ति है, उसकी आर्थिक बचत सबसे सुरक्षित सेवा है, उसके ओठ पुरुष के प्रति वफादारीपूर्वक परामर्शदाता हैं, उसका हृदय पुरुष की देखभाल करने वाला सबसे मुलायम सिरहाना है।" कितनी तथ्यपूर्ण बात कह दी है, पाश्चात्य विचारक ने। वास्तव में पतिव्रता नारी का जीवन पति के प्रति समर्पित जीवन होता है। वह पति की आन, बान और शान में रत्तीभर भी आँच नहीं आने देती। पातिव्रत्य के आदर्श को जीवित रखने के लिए भारतीय महिलाओं ने हंसते-हंसते धधकती आग में अपने शरीर को झोंक दिया है। मर्मान्तक कष्ट सहकर भी उन देवियों ने पतिव्रत धर्म की भावनाओं को सुरक्षित रखा है। पतिव्रताधर्म की रक्षा के लिए चित्तौड़ की पद्मिनी आदि रानियों ने जौहर करके जो अपूर्व बलिदान का परिचय दिया है, उसकी महिमा किन शब्दों में कही जाये ? अभी भी स्थान-स्थान पर यत्र-तत्र सतियों के स्मारक और मन्दिर देखने को मिलते हैं । इससे प्रतीत होता है कि भारतीय नारी ने प्राचीन काल में पतिव्रतधर्म के अपने आदर्श की रक्षा कितना अधिक मूल्य चुकाकर की है ? ____ इससे भी प्राचीनकाल में महारानी तारामती ने सत्य-हरिश्चन्द्र के साथ, दमयन्ती ने नल राजा के साथ, महासती सीता ने श्रीराम के साथ संकट के समय में समभाव से कष्ट सहकर अपने अद्भुत त्याग और प्रेम का-वस्तुतः पतिव्रतधर्म का परिचय दिया है। ___ वैदिक पुराणों में प्राचीन पतिव्रता सतियों के अनेक आख्यान मिलते हैं । मन्त्रद्रष्टा अपाला ने अपनी शक्ति से मरुत्गणों का आह्वान कर सोमरस का पान किया, सती अनुसूया के आँगन में ब्रह्मा, विष्णु, महेश बालक बनकर खेले, सावित्री ने यम को अपनी शीलशक्ति से सत्यवान की आयुष्यवृद्धि के लिए बाध्य कर दिया, शाण्डिली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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