Book Title: Anand Pravachan Part 10
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 428
________________ ४०४ आनन्द प्रवचन : भाग १० स्वामी रामतीर्थ ने भी संन्यास लेते समय अपनी पत्नी से मातृत्व सम्बन्ध जोड़ लिया। इस प्रकार की दृढ़ शीलनिष्ठा से समाज, धर्म और देश की सेवा भी सफलतापूर्वक होती है, और वासनाक्षय होने से आत्मा का विकास होते-होते वह मुक्ति शिखर पर पहुंचकर पूर्ण यशस्वी बन जाती है। बन्धुओ ! शीलवान आत्मा ही सच्चे माने में यशस्वी होता है, इस बात को कहकर महर्षि गौतम ने भौतिक साधनों के बल पर प्राप्त होने वाले क्षणिक यश की अपेक्षा शील-पालन से प्राप्त यश को स्थायी बताया है। आप भी शील-रत्न से आत्मा को विभूषित करके यशरूपी चमक-दमक प्राप्त करें और महर्षि गौतम के इस जीवनसूत्र को सदा स्मरण रखें तथा शीलपालन द्वारा अपने जीवन में चरितार्थ करें ___ 'अप्पा जसो सीलमओ नरस्स' शीलवान पुरुष की आत्मा यशस्वी होती है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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