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आनन्द प्रवचन : भाग १०
सांसारिक पदार्थों या भौतिक सुखों से विमुख हुए बिना कोई भी व्यक्ति प्रशम प्राप्त नहीं कर सकता । जो व्यक्ति एक ओर से प्रशम प्राप्त करना चाहता है, और दूसरी ओर से भौतिक पदार्थों या सुख-सुविधाओं की वासना में लिपटा रहे, वह प्रशम प्राप्त करने के बदले अप्रशम-पथ पर ही अपनी रफ्तार बढ़ाता है ।
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एक व्यक्ति ने एक त्याग - वैराग्यसम्पन्न महात्मा से शान्ति ( प्रथम ) का मार्ग पूछा । महात्मा ने अपना मूँह फेर लिया । आगन्तुक उधर जा खड़ा हुआ, तब महात्मा ने फिर मुँह फेर लिया। इस बात पर आगन्तुक समझ गया कि महात्मा के ऐसा करने का तात्पर्य है - भौतिक सुखों से मन को विमुख करने पर ही शान्ति मिल सकती है ।
भगवद्गीता में प्रशम (शान्ति) की प्राप्ति का यही उपाय बताया है— विहाय कामान् यः सर्वान् पुमांश्चरति निःस्पृहः । निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति ।
"जो पुरुष समस्त काम-भोगों ( कामनाओं, वासनाओं) का त्याग करके निःस्पृह, निर्ममत्व एवं निरहंकार होकर विचरण करता है, वह शान्ति प्राप्त करता है।"
इसके अतिरिक्त प्रशम-साधक को यह ध्यान रखना आवश्यक है कि असन्तु लित मन में अशान्ति उत्पन्न होती है, प्रशम नष्ट हो जाता है और मन में असन्तुलन पैदा करने वाले हैं— अनुकूलता का वियोग, प्रतिकूलता का संयोग, असहायता की अनुभूति, संघर्ष, सन्देह, भय, द्वेष, ईर्ष्या, क्रूरता, क्रोध और निराशा आदि । इनसे प्रशम-साधक को बचना चाहिए ।
वास्तव में अशान्ति के हेतुभूत संस्कारों का विलयन किये बिना कोई भी प्रशम-साधक प्रशम (शान्ति) का स्पर्श नहीं कर सकता । परिस्थिति कभी अनुकूल होती है, कभी प्रतिकूल । अनुकूलता में जिसे तीव्र हर्ष होगा, प्रतिकूलता में उसे तीव्र शोक हुए बिना नहीं रहता । परन्तु अपने आत्मभाव में रमण करने वाला प्रथम पुरुषार्थी साधक परिस्थिति से आहत नहीं होता । यथार्थ वस्तुस्थिति को जानकर प्रशमसाधक परिस्थिति से प्रभावित नहीं होता ।
एक बात और — प्रशम साधक को उन बातों को स्मृति में से निकाल देनी चाहिए, जो अप्रिय हों, किसी ने उसके साथ अप्रिय, अनुचित या अरुचिकर बात की हो, या कष्ट और दुःख देने वाली की हो। क्योंकि उन बातों को याद करते ही मन में अत्यधिक क्षोभ उत्पन्न हो जाता है ।
जो व्यक्ति अपने दिमाग से अप्रिय और निरर्थक बातें भुला नहीं देता, वह कभी शान्तिपूर्ण जीवनयापन नहीं कर सकता ।
किसी से अज्ञानतावश कोई भूल हो गई हो, प्रमादवश आवेश में आकर कोई अपराध कर दिया हो, आप उसे जानते हैं या आपको विश्वस्त व्यक्ति समझकर
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