Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ प्रथम वक्षस्कार सन्दर्भ 1. णमो अरिहंताणं / तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णाम णयरी होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा, वण्णओ। तोसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तर-पुरस्थिमे विसोभाए एत्थ णं माणिभद्दे णामं चेइए होत्था, वण्णो / जियसत्तू राया, धारिणी देवी, वणनो। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे, परिसा निग्गया, धम्मो कहियो, परिसा पडिगया। [1] उस काल-वर्तमान अवसर्पिणीकाल के चौथे पारे के अन्त में, उस समय-जब भगवान् महावीर विद्यमान थे, मिथिला नामक नगरी थी। (जैसा कि प्रथम उपांग औपपातिक आदि अन्य आगमों में नगरी का वर्णन पाया है,) वह वैभव, सुरक्षा, समृद्धि आदि विशेषताओं से युक्त थी। मिथिला नगरी के बाहर उत्तर-पूर्व दिशा-भाग में--ईशान कोण में माणिभद्र नामक चैत्ययक्षायतन था (जिसका अन्य आगमों में वर्णन है)। जितशत्र मिथिला का राजा था। धारिणी उसकी पटरानी थी (जिनका औपपातिक आदि आगमों में वर्णन आया है)। तब भगवान् महावीर वहाँ समवसृत हए-पधारे। (भगवान के दर्शन हेतु) लोग अपने-अपने स्थानों से रवाना हुए, जहाँ भगवान् विराजित थे, आये / भगवान् ने धर्म-देशना दी / (धर्म-देशना सुनकर) लोग वापस लौट गये। विवेचन--यहाँ काल और समय-ये दो शब्द आये हैं / साधारणतया ये पर्यायवाची हैं। जैन पारिभाषिक दृष्टि से इनमें अन्तर भी है। काल वर्तना-लक्षण सामान्य समय का वाचक है और समय काल के सूक्ष्मतम - सबसे छोटे भाग का सूचक है। पर, यहाँ इन दोनों का इस भेद-मूलक अर्थ के साथ प्रयोग नहीं हुआ है / जैन आगमों की वर्णन-शैली की यह विशेषता है, वहाँ एक ही बात प्रायः अनेक पर्यायवाची, समानार्थक या मिलते-जुलते अर्थ वाले शब्दों द्वारा कही जाती है / भाव को स्पष्ट रूप में प्रकट करने में इससे सहायता मिलती है। पाठकों के सामने किसी घटना, वत्त या स्थिति का एक बहुत साफ शब्द-चित्र उपस्थित हो जाता है। यहाँ काल का अभिप्राय वर्तमान अवसर्पिणी के चोर्थ प्रारे के अन्त से है तथा समय उस युग या काल का सूचक है,जब भगवान महावीर विद्यमान थे। ___ यहाँ मिथिला नगरी तथा माणिभद्र चैत्य का उल्लेख हया है। दोनों के आगे 'वण्णयो' शब्द आया है / जैन अागमों में नगर, गाँव, उद्यान आदि सामान्य विषयों के वर्णन का एक स्वीकृत रूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org