Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 437
________________ 376] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र उस मास के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पौरुषी होती है, अर्थात् सूरज के ताप में इतनी छाया पड़ती है--पौरुषी या प्रहर-प्रमाण दिन चढ़ता है / भगवन् ! वर्षाकाल के दूसरे–भाद्रपद मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. धनिष्ठा, 2. शतभिषक, 3. पूर्वभाद्रपदा तथा 4. उत्तरभाद्रपदा / धनिष्ठा नक्षत्र 14 अहोरात्र परिसमाप्त करता है, शतभिषक् नक्षत्र 7 अहोरात्र परिसमाप्त करता है, पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र 8 अहोरात्र परिसमाप्त करता है तथा उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र 1 अहोरात्र परिसमाप्त करता है। (14+7+8+1=30 दिनरात-१ मास) उस महीने में सूर्य पाठ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है / उस महीने के अन्तिम दिन आठ अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पौरुषी होती है / भगवन् ! वर्षाकाल के तीसरे आश्विन-आसौज मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते - गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. उत्तरभाद्रपदा, 2. रेवती तथा 3. अश्विनी। उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र 14 रातदिन परिसमाप्त करता है, रेवती नक्षत्र 15 रातदिन परिसमाप्त करता है तथा अश्विनी नक्षत्र एक रातदिन परिसमाप्त करता है। (14+1+1= 30 रातदिन=१ मास) उस मास में सूर्य 12 अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस मास के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है / भगवन् ! वर्षाकाल के चौथे-कार्तिक मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं.---१. अश्विनी, 2. भरणी तथा 3. कृत्तिका। अश्विनी नक्षत्र 14 रातदिन परिसमाप्त करता है, भरणी नक्षत्र 15 रातदिन परिसमाप्त करता है तथा कृत्तिका नक्षत्र 1 रातदिन परिसमाप्त करता है / (14+15+1-30 रातदिन= १मास) उस महीने में सूर्य 16 अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अंतिम दिन 4 अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है / चातुर्मासिक हेमन्तकाल के प्रथम-मार्गशीर्ष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. कृतिका, 2. रोहिणी तथा 3. मृगशिर / कृत्तिका नक्षत्र 14 अहोरात्र, रोहिणी नक्षत्र 15 अहोरात्र तथा मृगशिर नक्षत्र 1 अहोरात्र परिसमाप्त करता है / (14+1+1=30 दिनरात= 1 मास) उस महीने में सूर्य 20 अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन 8 अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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