Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ सप्तम वक्षस्कार [377 भगवन् ! हेमन्तकाल के दूसरे—पौष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. मृगशिर, 2. आर्द्रा, 3. पुनर्वसु तथा 4. पुष्य / मृगशिर नक्षत्र 14 रातदिन परिसमाप्त करता है, प्रार्द्रा नक्षत्र 8 रातदिन परिसमाप्त करता है, पुनर्वसु नक्षत्र 7 रातदिन परिसमाप्त करता है तथा पुष्य नक्षत्र 1 रातदिन परिसमाप्त करता है। (१४+८+७+१=३०रातदिन- 1 मास) तब सूर्य 24 अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण चार पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! हेमन्तकाल के तीसरे-माघ मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. पुष्य, 2. अश्लेषा तथा 3. मघा। पुष्य नक्षत्र 14 रातदिन परिसमाप्त करता है, अश्लेषा नक्षत्र 15 रातदिन परिसमाप्त करता है तथा मघा नक्षत्र 1 रातदिन परिसमाप्त करता है। (14+1+1=30 रातदिन = 1 मास) तब सूर्य 20 अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है / उस महीने के अंतिम दिन पाठ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! हेमन्तकाल के चौथे—फाल्गुन मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. मघा, 2. पूर्वाफाल्गुनी तथा 3. उत्तराफाल्गुनी / मघा नक्षत्र 14 रातदिन, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र 15 रातदिन तथा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 1 रातदिन परिसमाप्त करता है / (14+1+1=30 रातदिन = 1 मास) तब सूर्य सोलह अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! चातुर्मासिक ग्रीष्मकाल के प्रथम-चैत्र मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. उत्तराफाल्गुनी, 2. हस्त तथा 3. चित्रा। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 14 रातदिन परिसमाप्त करता है, हस्त नक्षत्र 15 रातदिन परिसमाप्त करता है तथा चित्रा नक्षत्र 1 रातदिन परिसमाप्त करता है। (14+1+1=30 रातदिन =1 मास) तब सूर्य 12 अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है / उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! ग्रीष्मकाल के दूसरे-वैशाख मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-१. चित्रा, 2. स्वाति तथा 3. विशाखा। चित्रा नक्षत्र 14 रातदिन परिसमाप्त करता है, स्वाति नक्षत्र 15 रातदिन परिसमाप्त करता है तथा विशाखा नक्षत्र 1 रातदिन परिसमाप्त करता है। (14+1+1=30 रातदिन - 1 मास) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org