Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 461
________________ 400] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र 252 140 219 221 215 248 102 298 392 353 355 364 153 392 पउमुत्तरे णीलवन्ते पढमणरीसर ईसर छप्पणं खलु भाए 381 पढमित्थ नीलवन्तो पणवीसट्ठारस बारसेव पण्णासंगुल दीहो जावइयंमि पमाणमि पम्हे सुपम्हे महापम्हे जोगो देव य तारग्ग परिगरणिगरि मझो जोहाण य उप्पत्ती 154 पलिग्रोवमट्टिईया पालय पुप्फे य सोमणसे णट्टविही णाडगविही 154 पिउ भगअज्जमसवित्रा णवमे वसंतमासे पुढवि-दगाणं च रसं ण वि से खुहाण विलिअं पुवंगे सिद्धमणोरमे सप्पमि णिवेसा पुस्सायणे अ अस्सायणे णंदुत्तरा य णन्दा 278 ब बह्मा विण्हू अ वसू त? अभाविअप्पा तिगतिगपंचगसयदुग तिणि सहस्सा सत्त य 27 भिंगा भिंगप्पभा चेव तिण्णेव उत्तराई, पुण्णवसू रोहिणी विसाहा य / / भोगंकरा भोगवई एए छण्णक्खत्ता म तिण्णेव उत्तराई, पुण्णवसू रोहिणी विसाहा य / वच्चंति मुहुत्ते 366 मज्झ वेअड्ढस्स उ तिसु तणुअंतिसु तंबं 148 मन्दर मेरु मणोरम तेल्ले कोट्ठसमुग्गे 94 मासाणं परिणामा तं चंचलायमाणं 102 मिगसोसावलि रुहिरबिंदु मियसिरं अद्द पुस्सो मूलंमि जोअणसयं दक्णिखपुरथिमे मूलंमि तिणि सोले दप्पण भद्दासणं 306 मेरुस्स मज्झयारे दो कोसे अ गहाणं 382 मोहंकरा मेहवई मोगल्लायण संखायणे नेसप्पे पंडुअए mm xur 221 272 22 264 221 الله الم 331 276 363 प 1. रयणाइं सब्बरयणे 221 2. रुद्दे सेए मित्त 153 356 पउमा पउमप्पभा चेव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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