Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ सप्तम वक्षस्कार] [379 गंतेसि देवाणं तव-नियम-बंभचेराणि णो ऊसिपाई भवंति तहा तहा णं तेसि देवाणं एवं (णो) पण्णायए, तं जहा-अणुते वा तुल्लत्ते वा। [196] सोलह द्वार पहला द्वार-- इसमें चन्द्र तथा सूर्य के अधस्तनप्रदेशवर्ती, समपंक्तिवर्ती तथा उपरितनप्रदेशवर्ती तारकमण्डल के-तारा विमानों के अधिष्ठातृ-देवों का वर्णन है / दूसरा द्वार–इसमें चन्द्र-परिवार का वर्णन है। तीसरा द्वार- इसमें मेरु से ज्योतिश्चक्र के अन्तर -दूरी का वर्णन है। चौथा द्वार—इसमें लोकान्त से ज्योतिश्चक्र के अन्तर का वर्णन है। पांचवाँ द्वार-इसमें भूतल से ज्योतिश्चक्र के अन्तर का वर्णन है। छठा द्वार-क्या नक्षत्र अपने चार क्षेत्र के भीतर चलते हैं, बाहर चलते हैं या ऊपर चलते हैं ? इस सम्बन्ध में इस द्वार में वर्णन है। सातवाँ द्वार-इसमें ज्योतिष्क देवों के विमानों के संस्थान-ग्राकार का वर्णन है। पाठवाँ द्वार- इसमें ज्योतिष्क देवों की संख्या का वर्णन है। नौवां द्वार–इसमें चन्द्र ग्रादि देवों के विमानों को कितने देव वहन करते हैं, इस सम्बन्ध में वर्णन है। दसवाँ द्वार-कौन कौन देव शीघ्रगतियुक्त हैं, कौन मन्दगतियुक्त हैं, इस सम्बन्ध में इसमें वर्णन है। ग्यारहवाँ द्वार-कौन देव अल्प ऋद्धिवैभवयुक्त हैं, कौन विपुल वैभवयुक्त हैं, इस सम्बन्ध में इसमें वर्णन है। बारहवाँ द्वार-इसमें ताराओं के पारस्परिक अन्तर-दूरी का वर्णन है। तेरहवां द्वार-इसमें चन्द्र आदि देवों की अग्रमहिषियों-प्रधान देवियों का वर्णन है। चौदहवाँ द्वार—इसमें प्राभ्यन्तर परिषत् एवं देवियों के साथ भोग-सामर्थ्य आदि का वर्णन है। पन्द्रहवाँ द्वार–इसमें ज्योतिष्क देवों के आयुष्य का वर्णन है। सोलहवाँ द्वार-इसमें ज्योतिष्क देवों के अल्पबहुत्व का वर्णन है। भगवन ! क्षेत्र को अपेक्षा से चन्द्र तथा सूर्य के अधस्तन प्रदेशवर्ती तारा विमानों के अधिष्ठातृ देवों में से कतिपय क्या द्युति, वैभव आदि की दृष्टि से चन्द्र एवं सूर्य से अणु-हीन हैं ? क्या कतिपय उनके समान हैं ? क्षेत्र की अपेक्षा से चन्द्र आदि के विमानों के समश्रेणीवर्ती ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवों में से कतिपय क्या द्युति, वैभव आदि में उनसे न्यून हैं ? क्या कतिपय उनके समान हैं ? क्षेत्र की अपेक्षा से चन्द्र आदि के विमानों के उपरितनप्रदेशवर्ती ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवों में से कतिपय क्या द्युति, वैभव आदि में उनसे अणु-न्यून हैं ? क्या कतिपय उनके समान हैं ? हाँ, गौतम ! ऐसा ही हैं / चन्द्र आदि के अधस्तन प्रदेशवर्ती, समश्रेणीवर्ती तथा उपरितनप्रदेशवर्ती ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवों में कतिपय ऐसे हैं जो चन्द्र आदि से युति, वैभव आदि में हीन या न्यून हैं, कतिपय ऐसे हैं जो उनके समान हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org