Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 418
________________ सप्तम वक्षस्कार 357 8. अष्टमी-दिवस, 9. नवमी-दिवस, 10. दशमी-दिवस, 11. एकादशी-दिवस, 12. द्वादशी-दिवस, 13. त्रयोदशी-दिवस, 14. चतुर्दशी-दिवस, 15. पंचदशी-दिवस-अमावस्या या पूर्णमासी का दिन / भगवन् ! इन पन्द्रह दिनों के कितने नाम बतलाये गये हैं ? गौतम ! पन्द्रह दिनों के पन्द्रह नाम बतलाये गये हैं, जैसे-१. पूर्वाङ्ग, 2. सिद्धमनोरम, 3. मनोहर, 4. यशोभद्र, 5. यशोधर, 6. सर्वकाम-समृद्ध, 7. इन्द्रमूर्द्धाभिषिक्त, 8. सौमनस, 6. धन जय, 10. अर्थसिद्ध, 11. अभिजात, 12. अत्यशन, 13. शतञ्जय, 14. अग्निवेश्म तथा 15. उपशम / भगवन् ! इन पन्द्रह दिनों की कितनी तिथियाँ बतलाई गई हैं ? गौतम ! इनकी पन्द्रह तिथियाँ बतलाई गई हैं, जैसे--१. नन्दा, 2. भद्रा, 3. जया, 4. तुच्छारिक्ता, 5. पूर्णा-पञ्चमी / फिर 6. नन्दा, 7. भद्रा, 8. जया, 6. तुच्छा, 10. पूर्णा- दशमी / फिर 11. नन्दा, 12. भद्रा, 13. जया, 14. तुच्छा, 15. पूर्णा–पञ्चदशी। यों तीन आवृत्तियों में ये पन्द्रह तिथियाँ होती हैं / भगवन् ! प्रत्येक पक्ष में कितनी रातें बतलाई गई हैं ? गौतम ! प्रत्येक पक्ष में पन्द्रह रातें बतलाई गई हैं, जैसे 1. प्रतिपदारात्रि-एकम की रात, 2. द्वितीयारात्रि, 3. तृतीयारात्रि, 4. चतुर्थीरात्रि, 5. पंचमीरात्रि, 6. षष्ठीरात्रि, 7. सप्तमीरात्रि, 8. अष्टमीरात्रि, 9. नवमीरात्रि, 10. दशमीरात्रि, 11. एकादशीरात्रि, 12. द्वादशीरात्रि, 13. त्रयोदशीरात्रि, 14. चतुर्दशी रात्रि-चौदस की रात तथा 15. पञ्चदशी-अमावस या पूनम की रात / भगवन् ! इन पन्द्रह रातों के कितने नाम बतलाये गये हैं ? गौतम ! इनके पन्द्रह नाम बतलाये गये हैं, जैसे-१. उत्तमा, 2. सुनक्षत्रा, 3. एलापत्या, 4. यशोधरा, 5. सौमनसा, 6. श्रीसम्भूता, 7. विजया, 8. वैजयन्ती, 6. जयन्ती, 10. अपराजिता, 11. इच्छा, 12. समाहारा, 13. तेजा, 14. अतितेजा तथा 15. देवानन्दा या निरति / भगवन् ! इन पन्द्रह रातों की कितनी तिथियां बतलाई गई हैं ? गौतम ! इनकी पन्द्रह तिथियाँ बतलाई गई हैं, जैसे-- 1. उग्रवती, 2. भोगवती, 3. यशोमती, 4. सर्वसिद्धा, 5. शुभनामा, फिर 6. उग्रवती, 7. भोगवती, 8. यशोमती, 9. सर्वसिद्धा, 10. शुभनामा, फिर 11. उग्रवती, 12. भोगवती, 13. यशोमती, 14. सर्वसिद्धा, 15. शुभनामा / इस प्रकार तीन आवृत्तियों में सब रातों की तिथियाँ पाती हैं। भगवन् ! प्रत्येक अहोरात्र के कितने मुहूर्त बतलाये गये हैं ? गौतम ! तीस मुहूर्त बतलाये गये हैं, जैसे --- 1. रुद्र, 2. श्रेयान, 3. मित्र, 4. वायु, 5. सुपीत, 6. अभिचन्द्र, 7. माहेन्द्र, 8. बलवान्, 9. ब्रह्म, 10. बहुसत्य, 11. ऐशान, 12. त्वष्टा, 13. भावितात्मा, 14. वैश्रमण, 15. वारुण, 16. आनन्द, 17. विजय, 18. विश्वसेन, 16. प्राजापत्य, 20. उपशम, 21. गन्धर्व, 22. अग्निवेश्म, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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