Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 372] (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र भगवन् ! भाद्रपदी अमास्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! भाद्रपदी अमावस्या के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी--इन दो नक्षत्रों का योग होता है। भगवन् ! आसौजी अमावस्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! प्रासौजी अमावस्या के साथ हस्त एवं चित्रा—इन दो नक्षत्रों का, कार्तिकी अमावस्या के साथ स्वाति और विशाखा-दो नक्षत्रों का, मार्गशीर्षी अमावस्या के साथ अनुराधा, ज्येष्ठा तथा मूल-इन तीन नक्षत्रों का, पौषी अमावस्या के साथ पूर्वाषाढा तथा उत्तराषाढा-इन दो नक्षत्रों का, माधी अमावस्या के साथ अभिजित्, श्रवण और धनिष्ठा-इन तीन नक्षत्रों का, फाल्गुनी अमावस्या के साथ शतभिषक, पूर्वभाद्रपदा एवं उत्तरभाद्रपदा-इन तीन नक्षत्रों का, चैत्री अमावस्या के साथ रेवती और अश्विनी-इन दो नक्षत्रों का, वैशाखी अमावस्या के साथ भरणी तथा कृत्तिकाइन दो नक्षत्रों का, ज्येष्ठामूला अमावस्या के साथ रोहिणी एवं मृगशिर-इन दो नक्षत्रों का और आषाढी अमावस्या को साथ पार्दा, पूनर्वसू तथा पुष्य- इन तीन नक्षत्रों का योग होता है। . भगवन् ! श्रावणी अमावस्या के साथ क्या कुल का योग होता है ? क्या उपकुल का योग होता है? क्या कुलोपकुल का योग होता है ? ___गौतम ! श्रावणी अमावस्या के साथ कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है, कुलोपकुल का योग नहीं होता। कुलयोग के अन्तर्गत मघा नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत अश्लेषा नक्षत्र का योग होता है / उपसंहार-रूप में विवक्षित है-श्रावणी अमावस्या के साथ कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है / यों वह कुलयोगयुक्त एवं उपकुलयोगयुक्त होती है। भगवन् ! क्या भाद्रपदी अमास्या के साथ कुल, उपकुल और कुलोपकुल का योग होता है ? गौतम ! भाद्रपदी अमावस्या के साथ कुल एवं उपकुल-इन दो का योग होता है / कुलयोग के अन्तर्गत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का योग होता है। उपकुलयोग के अन्तर्गत पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का योग होता है / (उपसंहार-रूप में विवक्षित है-भाद्रपदी अमावस्या के साथ कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है / यों वह कुलयोगयुक्त होती है, उपकुलयोगयुक्त होती है।) मार्गशीर्षी अमावस्या के साथ कलयोग के अन्तर्गत मूल नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत ज्येष्ठा नक्षत्र का योग होता है तथा कुलोपकुलयोग के अन्तर्गत अनुराधा नक्षत्र का योग होता है। आगे की वक्तव्यता पूर्वानुरूप है। माघी, फाल्गुनी तथा आषाढी अमावस्या के साथ कुल, उपकुल एवं कलोपकल का योग होता है, बाकी की अमावस्याओं के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है / भगवन् ! क्या जब श्रवण नक्षत्र से युक्त पूणिमा होती है, तब क्या तत्पूर्ववर्तिनी अमावस्या मघा नक्षत्रयुक्त होती है ? भगवन् ! जब पूर्णिमा मघा नक्षत्रयुक्त होती है तब क्या तत्पश्चाद्भाविनी अमावस्या श्रवण नक्षत्र युक्त होती है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org