Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 370] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र चार कुलोपकुल-१. अभिजित् कुलोपकुल, 2. शतभिषक् कुलोपकुल, 3. आर्द्रा कुलोपकुल तथा 4. अनुराधा कुलोपकुल। भगवन् ! पूर्णिमाएँ तथा अमावस्याएँ कितनी बतलाई गई हैं 2 गौतम ! गारह पुणिमाएँ तथा बारह अमावस्याएँ बतलाई गई हैं, जैसे 1. श्राविष्ठी-श्रावणी, 2. प्रौष्ठपदी-भाद्रपदी, 3. आश्वयुजी-आसोजी, 4. कार्तिकी, 5. मार्गशीर्षी, 6. पौषी, 7. माघी, 8. फाल्गुनी, 6. चैत्री, 10. वैशाखी, 11 ज्येष्ठामूली तथा 12. आषाढी। भगवन् ! श्रावणी पूर्णमासी के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? - गौतम ! श्रावणी पूर्णमासी के साथ अभिजित्, श्रवण तथा धनिष्ठा-इन तीन नक्षत्रों का योग होता है। भगवन् ! भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ शतभिषक्, पूर्वभाद्रपदा तथा उत्तरभाद्रपदा-इन तीन नक्षत्रों का योग होता है। भगवन् ! आसौजी पूर्णिमा के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! आसौजी पूर्णिमा के साथ रेवती तथा अश्विनी--इन दो नक्षत्रों का योग होता है / कार्तिक पूर्णिमा के साथ भरणी तथा कृत्तिका-इन दो नक्षत्रों का, मार्गशीर्षी पूर्णिमा के साथ रोहिणी तथा मृगशिर-दो नक्षत्रों का, पौषी पूर्णिमा के साथ आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्य-इन तीन नक्षत्रों का, माघी पूर्णिमा के साथ अश्लेषा और मघा-दो नक्षत्रों का, फाल्गुनी पूर्णिमा के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी-दो नक्षत्रों का, चैत्री पूर्णिमा के साथ हस्त एवं चित्र-दो नक्षत्रों का, वैशाखी पूर्णिमा के साथ स्वाति और विशाखा-दो नक्षत्रों का, ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ अनुराधा, ज्येष्ठा एवं मूल-इन तीन नक्षत्रों का तथा आषाढी पूर्णिमा के साथ पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा-दो नक्षत्रों का योग होता है। __ भगवन् ! श्रावणी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का-कुलसंज्ञक नक्षत्रों का योग होता है ? क्या उपकुल का-उपकुलसंज्ञक नक्षत्रों का योग होता है ? क्या कुलोपकुल का-कुलोपकुलसंज्ञक नक्षत्रों का योग होता? गौतम ! कुल का योग होता है, उपकुल का योग होता है और कुलोपकुल का योग होता है। कुलयोग के अन्तर्गत धनिष्ठा नक्षत्र का योग होता है, उपकुलयोग के अन्तर्गत श्रवण नक्षत्र का योग होता है तथा कुलोपकुलयोग के अन्तर्गत अभिजित् नक्षत्र का योग होता है। उपसंहार-रूप में विवक्षित है--श्रावणी पूर्णमासी के साथ कुल, (उपकुल) तथा कुलोपकुल का योग होता है यों श्रावणी पूर्णमासी कुलयोगयुक्त, उपकुलयोगयुक्त तथा कुलोपकुलयोगयुक्त होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org