Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ 348] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र इस क्रम से (निष्क्रमण करता हुआ, पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर) संत्रमण करता हुआ चन्द्र एक-एक मण्डल पर 3 ग्रोजन मुहूर्त-गति कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। नक्षत्र-मण्डलादि 182. कइणं भन्ते ! जवखत्तमण्डला पण्णत्ता? गोयमा ! अढ णक्खत्तमण्डला पण्णत्ता। जम्बुद्दीवे दोवे केवइयं प्रोगाहित्ता केवइआ णवखत्तमण्डला पणत्ता? गोयमा ! जम्बुद्दीवे दीवे असीअं जोअगसयं प्रोगाहेत्ता एस्थ णं दो गवखत्तमण्डला पणत्ता। लवणे णं समुद्दे केवइअं प्रोगाहेत्ता केवइया गवखत्तमण्डला पण्णत्ता? / गोयमा ! लवणे णं समुद्दे तिष्णि तोसे जोअणसए प्रोगाहित्ता एत्थ णं छ णवखत्तमण्डला पण्णत्ता। एवामेव सपुध्वावरेणं जम्बुद्दीवे दोवे लवणसमुद्दे अट्ठ णवखत्तमण्डला भवंतीतिमक्खायमिति / सबभंतराओ णं भन्ते ! गवखत्तमण्डलाओ केतइमाए प्रवाहाए सवबाहिरए गयखत्तमण्डले पण्णते? गोयमा ! पंचदसुत्तरे जोश्रणसए अबाहाए सध्वबाहिरए णवखत्तमण्डले पण्णत्ते इति / णक्खत्तमण्डलस्स णं भन्ते ! णवखत्तमण्डलस्स य एस णं केवइयाए प्रबाहाए अंतरे पप्णत्ते ? गोयमा ! दो जोअणाई णवखत्तमण्डलस्स य णवखत्तमण्डलस्स य प्रबाहाए अंतरे पण्णत्ते। णक्खत्तमण्डले णं भन्ते ! केवइ आयामविषखम्भेणं केवइग्रं परिवखेवणं केवइनं बाहल्लेणं पण्णते ? गोयमा ! गाउअं आयामविवखम्भेणं, तंतिगुणं सविसेसं परिषखेवेणं, अद्धगाउअंबाहल्लेणं पष्णत्ते / जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे मन्दरस्स पब्वयस्स केवइयाए अबाहाए सम्वन्भंतरे णवखत्तमण्डले पण्णते ? गोयमा ! चोयालीसं जोअणसहस्साई अट्ठ य वीसे जोअणसए अबाहाए सव्वभंतरे णवखत्तमण्डले पण्णत्ते इति / जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे मन्द रस्स पब्वयस्स केवइयाए अबाहाए सब्बबाहिरए णवखत्तमण्डले पण्णते? गोयमा ! पणयालीसं जोअणसहस्साई तिष्णि अ तीसे जोअणसए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमण्डले पण्णत्ते इति / सम्वभंतरे णक्खत्तमण्डले केवइअंपायामविवखम्भेणं, केवइअं परिवखेवेणं पण्णते ? गोयमा ! णवणति जोत्रणसहस्साई छच्चचत्ताले जोअणसए पायामविवखम्भेणं, तिष्णि अ जोअणसयसहस्साइं पण्णरस सहस्साई एगूणणति च जोप्रणाइं किंचिविसेसाहिए परिवखेवेणं पणत्ते। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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