Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 408
________________ सप्तम वक्षस्कार] 1347 जया गं भन्ते ! बाहिरतच्चं पुच्छा ? गोयमा ! पंच जोअणसहस्साई एगं च अट्ठारसुत्तरं जोपणसयं चोद्दस य पंचत्तुरे भागसए गच्छह मण्डलं तेरसहि सहस्सेहि सहि पणवीसेहि सएहि छेत्ता। एवं खलु एएणं उवाएणं (णिक्खममाणे चन्वे तयाणन्तरामो मण्डलाओ तयाणन्तरं मण्डलं) संक्रममाणे 2 तिग्णि 2 जोषणाई छण्णउति च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मण्डले मुहुत्तगई णिवुद्धमाणे 2 सम्वन्भंतरं मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ / [181] भगवन् ! जब चन्द्र सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! वह प्रतिमुहूर्त 5073 / 4 योजन क्षेत्र पार करता है / तब वह (चन्द्र) यहाँ-भरतार्ध क्षेत्र में स्थित मनुष्यों को 4726330 योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। भगवन् ! जब चन्द्र दूसरे प्राभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब (प्रतिमुहूर्त) कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त 50773 योजन क्षेत्र पार करता है / भगवन् ! जब चन्द्र तीसरे प्राभ्यन्तर मण्डल का असंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त 5080133% योजन क्षेत्र पार करता है / इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र (पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ) प्रत्येक मण्डल पर 3615, मुहूर्त-गति बढ़ाता हुअा सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। भगवन् ! जब चन्द्र सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! वह 51251 योजन क्षेत्र पार करता है। तब यहां स्थित मनुष्यों को वह (चन्द्र) 31831 योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। भगवन् ! जब चन्द्र दूसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम! वह प्रतिमुहूर्त 51213 योजन क्षेत्र पार करता है / भगवन् ! जब चन्द्र तीसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त 511815 योजन क्षेत्र पार करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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