Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ चतुर्ष वक्षस्कार] [271 खाणुबहुले, कंटकबहुले एवं जच्चेव भरहस्स बसम्वया सच्चेव सम्वा निरवसेसा प्रख्या / सप्रोप्रवणा, सणिक्खिमणा, सपरिनिष्वाणा / णवरं एरावनो चक्कवट्टी, एरावो देवो, से तेणठेणं एरावए वासे 2 / भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत ऐरावत नामक क्षेत्र कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! शिखरी वर्षधर पर्वत के उत्तर में, उत्तरी लवणसमुद्र के दक्षिण में, पूर्वी लवण समुद्र के पश्चिम में तथा पश्चिमी लवणसमुद्र के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत ऐरावत नामक क्षेत्र बतलाया गया है। वह स्थाणु-बहुल है.--शुष्क काठ की बहुलता से युक्त है, कंटकबहुल है, इत्यादि उसका सारा वर्णन भरतक्षेत्र की ज्यों है। वह षटखण्ड साधन, निष्क्रमण-प्रव्रज्या या दीक्षा तथा परिनिर्वाण-मोक्ष सहित है-ये वहाँ साध्य हैं / इतना अन्तर है - वहाँ ऐरावत नामक चक्रवर्ती होता है, ऐरावत नामक अधिष्ठातृ-देव है, इस कारण वह ऐरावत क्षेत्र कहा जाता है। [OD Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org