Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 58 [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र 1. लेख–लेखन, 2. गणित, 3. रूप, 4. नाट्य अभिनय युक्त, अभिनय रहित तांडव आदि नृत्य, 5. गीत--गन्धर्व-कला या संगीत-विद्या, 6. वादित-वाद्य बजाने की कला, 7. स्वरगत-संगीत के मूलभूत षड्ज, ऋषभ आदि स्वरों का ज्ञान, 8. पुष्करगत-मृदंग आदि बजाने का ज्ञान, 6. समताल—संगीत में गीत तथा वाद्यों के सुर एवं ताल-समन्वय या संगति का ज्ञान, 10. द्यूत–जुमा खेलना, 11. जनवाद–यत-विशेष, 12. पाशक—पासे खेलना, 13. अष्टापद--चौपड़ द्वारा जूग्रा खेलने की कला, 14. पुर:काव्य-शीघ्रकवित्व-किसी भी विषय पर तत्काल काव्य रचना करना, आशु कविता करना, 15. दकमृतिका-पानी तथा मिट्टी को मिलाकर विविध वस्तुएँ निर्मित करने की कला, अथवा पानी तथा मिट्टी के गुणों का परीक्षण करने की कला, 16. अन्नविधि-भोजन पकाने की कला, 17. पानविधि-पानी पीने आदि विषय में गुण-दोष का विज्ञान, 18. वस्त्रविधि-वस्त्र पहनने आदि का विशिष्ट ज्ञान, 16. विलेपनविधि-देह पर सुरभित, स्निग्ध पदार्थों का, औषधि विशेष का लेप करने की विधि, 20. शयनविधि- पलंग आदि शयन सम्बन्धी वस्तुओं की संयोजना, सुसज्जा आदि का ज्ञान, 21. आर्या-प्रार्या छन्द रचने की कला, 22. प्रहेलिका---गूढाशय वाले पद्य, पहेलियाँ रचना, उनका हल प्रस्तुत करना, 23. मागधिका-मागधिका छन्द में रचना करने की कला, 24. गाथा-संस्कृतभिन्न अन्य भाषा में प्रार्या छन्द में रचना, 25. गीतिका पूर्वार्द्ध के सदृश उत्तरार्द्ध-लक्षणा आर्या में रचना, 26. श्लोक-अनुष्टुप-विशेष में रचना, 27. हिरण्ययक्ति_चाँदी के यथोचित संयोजन की कला. 28. स्वर्णयुक्ति-सोने के यथोचित संयोजन की कला, 26. चूर्णयुक्ति-कोष्ठ आदि सुगन्धित पदार्थों का बुरादा बनाकर उसमें अन्य पदार्थों का मेलन, 30. प्राभरणविधि---आभूषण-अलंकार द्वारा सज्जा, 31. तरुणी-परिकर्म-युवतियों के शृगार, प्रसाधन की कला, 32. स्त्रीलक्षण सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार स्त्रियों के शुभ-अशुभ लक्षणों का ज्ञान, 33. पुरुषलक्षण सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार पुरुषों के शुभ तथा अशुभ लक्षणों का ज्ञान, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org