Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 240] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र बन निषध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, शीता महानदी के दक्षिण में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में, वत्स विजय के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में विद्यमान है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है और सब उत्तर-दिग्वर्ती शीतामुख वन की ज्यों है। इतना अन्तर और है-वह घटते-घटते निषध वर्षधर पर्वत के पास योजन चौड़ा रह जाता है। वह काले, नीले आदि पत्तों से युक्त होने से वैसी आभा लिये है / उससे बड़ी सुगन्ध फूटती है, देव-देवियां उस पर आश्रय लेते हैं, विश्राम करते हैं। वह दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं तथा वनखण्डों से परिवेष्टित है-इत्यादि समस्त वर्णन पूर्वानुरूप है। वत्स आदि विजय 124. कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पण्णते? गोयमा ! णिसहस्स वासहरपब्वयस्स उत्तरेणं, सीआए महाणईए दाहिणेणं, दाहिणिल्लस्स सीमामुहवणस्स पच्चत्थिमेणं, तिउडस्स वक्खारपब्वयस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जम्बहीवे दीवे महाविदेहे वासे बच्छे णामं विजए पण्णत्ते, तं चेव पमाणं, सुसीमर रायहाणी 1, तिउडे बक्खारपव्वए सुवच्छे विजए, कुण्डला रायहाणी 2, तत्तजला गई, महावच्छे विजए अपराजिआ रायहाणी 3, वेसमणकूडे वक्खारपव्वए, वच्छावई विजए, पभंकरा रायहाणी 4, मत्तजला णई, रम्मे विजए, अंकावई रायहाणी 5, अंजणे वक्खारपव्वए रम्मगे विजए, पम्हावई रायहाणी 6, उम्मत्तजला महाणई, रमणिज्जे विजए, सुभा रायहाणी 7, मायंजणे वक्खारपवए मंगलावई विजए, रयणसंचया रायहाणीति 8 / एवं जह चैव सोनाए महाणईए उत्तरं पासं तह चेव दक्खिणिल्लं भाणिग्रव्वं, दाहिणिल्लसीआमुह-वणाइ। इमे वक्खार-कूडा, तं जहा--तिउडे 1, वेसमण कूडे 2, अंजणे 3, मायंजणे 4, [णईउ तत्तजला 1, मत्तजला 2, उम्मत्तजला 3,] विजया तं जहा बच्छे सुवच्छे महावच्छे, चउत्थे वच्छगावई / ___ रम्मे रम्मए चेव रमणिज्जे मंगलावई // 1 // रायहाणीयो, तं जहा सुसीमा कुण्डला चेव, अवराइभ पहंकरा। अंकाबई पम्हावई, सुभा रयणसंचया // वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणणं, सीमा उत्तरेणं, दाहिणिल्ल-सोदामुहवणे पुरस्थिमेणं, तिउडे पच्चत्थिमेणं, सुसीमा रायहाणी पमाणं तं चेवेति / / वच्छाणंतरं तिउडे, तो सुवच्छे विजए, एएणं कमेणं तत्तजला गई, महावच्छे विजए वेसमणकूडे वक्खारपवए, वच्छाबई विजए, मत्तजला गई, रम्मे विजए, अंजणे वक्खारपवए, रम्मए विजए, उम्मत्तजला गई, रमणिज्जे विजए, मायंजणे वक्खारपव्वए, मंगलावई विजए। [124] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में वत्स नामक विजय कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! निषध वर्षधर. पर्वत के उत्तर में, शीता महानदी के दक्षिण में, दक्षिणी शीतामुख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org