Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र विजय नामक द्वार कहा गया है / वह पाठ योजन ऊँचा तथा चार योजन चौड़ा है। उसका प्रवेशप्रवेशमार्ग भी चौड़ाई जितना ही-चार योजन का है। वह द्वार श्वेत-सफेद वर्ण का है। उसकी स्तुपिका-शिखर, उत्तम स्वर्ण की बनी है। द्वार एवं राजधानी का जीवाभिगम सूत्र में जैसा वर्णन पाया है, वैसा ही यहाँ समझना चाहिए। 6. जंबुद्दोवस्स णं भंते ! दोवस्स दारस्स य दारस्स य केवइए अबाहाए अंतरे पण्णते ? गोयमा! अउणासोई जोअणसहस्साई बावण्णं च जोषणाई देसूणं च अद्धजोअणं दारस्स य 2 अबाहाए अंतरे पण्णत्ते अउणासोइ सहस्सा बावण्णं चेव जोपणा हुंति / ऊणं च अद्धजोअणं दारंतरं जंबुदीवस्स // [9] भगवन् ! जम्बूद्वीप के एक द्वार से दूसरे द्वार का अबाधित अव्यवहित अन्तर कितना है ? ___ गौतम ! जम्बूद्वीप के एक द्वार से दूसरे द्वार का अबाधित—अव्यवहित-अन्तर उनासी हजार बावन योजन तथा कुछ कम प्राधे योजन का है। जम्बूद्वीप में भरतक्षेत्र का स्थान : स्वरूप 10. कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे जाम बासे पण्णत्ते ? गोयमा ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपन्चयस्स दाहिणणं, दाहिणलवणसमुदस्स उत्तरेणं, पुरस्थिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चस्थिमलवणसमुहस्स पुरथिमेणं, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे भरहे णाम वासे पण्णते-खाणुबहुले, कंटकबहुले, विसमबहुले, दुग्गबहुले, पञ्चयबहुले, पवायबहुले, उज्झरबहुले, णिन्झरबहुले, खड्डाबहुले, दरीबहुले, णईबहुले, दहबहुले, रुक्खबहुले, गुच्छबहुले, गुम्मबहुले, लयाबहुले, वल्लीबहुले, अडवीबहुले, साक्यबहुले, तणबहुले, तक्करबहुले, डिम्बबहुले, डमरबहुले, दुभिक्खबहुले, दुक्कालबहुले, पासंडबहुले, किवणबहुले, वणीमगबहुले, ईतिबहुले, मारिबहुले, कुवुट्टिबहुले, अणावुट्ठिबहुले, रायबहुले, रोगबहुले, संकिलेसबहुले, अभिक्खणं अभिक्खणं संखोहबहुले। पाईणपडोणायए, उदीणदाहिणविस्थिणे, उत्तरमो पलिअंकसंठाणसंठिए, दाहिणो धणुपिटुसंठिए, तिधा लवणसमुदं पुछे, गंगासिंह महाणईहि वेअड्ढेण य पव्वएण छन्भागपविभत्ते, जंबुद्दीवदीवणउयसयभागे पंचछव्वीसे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं / भरहस्स णं वासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं वेड्ढे णामं पव्वए पण्णत्ते, जे णं भरहं वासं दुहा विभयमाणे 2 चिट्ठइ, तं जहा-दाहिणड्डभरहं च उत्तरडभरहं च / [10] भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में भरत नामक वर्ष--क्षेत्र कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! चुल्ल हिमवंत-लघु हिमवंत पर्वत के दक्षिण में, दक्षिणवर्ती लवण समुद्र के उत्तर में, पूर्ववर्ती लवण समुद्र के पश्चिम में, पश्चिमवर्ती लवण समुद्र के पूर्व में यह जम्बूद्वीपान्तर्वर्ती भरत क्षेत्र है। / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org