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અર્થાત નાગરી લિપિના કેટલાક શિલાલેખેથી એ નિશ્ચિત થાય છે કે “જેતવન-વિહાર' આઠમી અથવા નવમી. શતાબ્દિમાં “બૌદ્ધધર્મનું કેન્દ્ર હતો. બારમી શતાબ્દિ સુધી ‘જેતવન ને આ. વિહાર બૌદ્ધ ધર્મ અને સંસ્કૃતિનું કેન્દ્રસ્થલ બની રહ્યો હતે. તેમાં કન્નોજના રાજાને કૃપા–પાત્ર એક મેટ બૌદ્ધ ભિક્ષુ-સંઘ રહેતું હતું. ___ "हर्षवर्द्धन के बाद नालंदा महाविहारका संरक्षण प्रधानता पालवंशी राजाओंद्वारा होता रहा । पालोंके आधिपत्यका सूत्र आठवीं ईसवी सदीके प्रारम्भमें होता है। उस समयसे बारहवीं सदी तक विश्वविद्यालय उन्हींके संरक्षणमें रहा।... इस वंशके अंतिम राजा 'गोविन्दपाल' का नाम भी नालन्दासे सम्बद्ध है। 'अष्ट साहस्रिका प्रज्ञापारमिता' का एक प्रतिलिप नालन्दा में गोविन्दपालके राज्यके चौथे वर्ष (इ. स. ११६५) में तैय्यार हुई थी।" --द्विवेदी अभिनन्दनग्रन्थ, नालन्दा विश्वविद्यालप
लेखक-विश्वनाथ प्रसाद, पृष्ठ ३२० ४ " इसवी पूर्व तसरोशताब्दिसे ई. स. की बारहवीं शताब्दि तक सारनाथ बौद्धधर्मका एक प्रधान केन्द्र बना रहा।"
--सारनाथका संक्षिप्त परिचय अवतरणिका पृष-१ ५" इत्येव नयरीए बुद्धाययणं चिइ जत्य समुदवसीया
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