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राजनैतिक और सैनिक महल - इसके बाद सिंघी इन्द्रराजजी ने १०००० जोधपुर की तथा १० हजार बाहरी फौज लेकर बीका नेर पर चढ़ाई की और उक्त शहर से ५ कोस पर डेरा डाला । तत्कालीन बीकानेर नरेश महाराजा सूरत सिंहजी ने आपसे समझौता कर फौज़ खर्च के लिये ४ लाख रुपये देने का वायदा किया । इसके बाद सिंघी इन्द्रराजजी अपनी फौज को लेकर जोधपुर चले आये।
___इसके बाद सिंघी इन्द्रराजजी ने अपने प्राण देकर भी महाराजा मानसिंहजी को अमीरखाँ के कुचक्र से बचाया और मारवाड़ की रक्षा की । यह घटना इस प्रकार है । जब सिंघी इन्द्रराजजी ने बीकानेर पर फौजी चढ़ाई की थी, तब पीछे से अमीरखाँ ने महाराजा मानसिंहजी से अपनी दी हुई सहायता के बदले में पर्वतसर, मारोठ, डीडवाणा और सांभर का परगने अपने नाम पर लिखवा लिये थे। सम्वत १८७२ की आसौज सुदी के दिन अमीरखों के कुछ पठान सैनिक जोधपुर के किले पर पहुंचे और वे सिंघीजी से अपनी चढ़ी हुई तनख्वाह और उक्त चारों परगनों का कब्जा माँगने लगे । कहा जाता है कि सिंघी इन्द्रराजजी ने मोरखाँ के आदमियों से महाराजा मानसिंहजी का दिया हुआ चार परगनों का अधिकार पत्र देखने के लिये मांगा ज्योंही उक्त पत्र उनके हाथ आया वे उसे निगल गये । इससे अमीरखाँ के लोग बड़े क्रोधित हुए और उन्होंने सिंघी इन्द्रराजजी को वहीं कन्ड कर डाला । जोधपुर राज्य की रक्षा के लिए इस प्रकार ओसवाल समाज के इस महा सेनानायक और प्रतिभा शाली मुत्सुद्दी का अन्त हुना!
___ जब यह समाचार महाराजा मानसिंहजी को पहुंचा, तब वे बड़े शोक विह्वल हुए ! उन्होंने इन्द्रराजजी के शव को किले के खास दरवाजे से, जहाँ से सिर्फ राजपुरुषों का शव निकलता है, निकलवाकर उनका राज्योचित सम्मान किया । इतना ही नहीं किले के पास ही उनका दाह संस्कार कराया गया जहाँ अब भी उनकी छत्री बनी हुई है।
सिंधी इन्द्रराजजी की सेवाओं के बदले में महाराजा मानसिंहजी ने उनके पुत्र फतहराजजी को २५ हजार की जागीरी, दीवानगी तथा महाराज कुमार के बराबरी का सम्मान प्रदान किया। इस सम्बन्ध में महाराजा मानसिंहजी ने जो खास रुक्का भेजा था उसकी नकल यह है।
श्री नाथजी सिंघवीं फतेराज कस्य सुप्रसाद बांचजो तथा इन्दराज रे निमित्त ११ जीणा ने पीयाला दिया ने सरकार रो खेरखुवा पणे राखणासुं मीरखां इन्द्रराज ने काम में लायाः ने परगना चार नहीं दिया जणा की कठा ताई तारीफ करां । उनने मारी नौकरियां बहुत बहुत दीवी। उणा रे मरणे सुं राजन बड़ा हरज हुओ। परंत अब दीवाणगिरीरो रु० २५०००) हजाररो पटो थान इनायत किया जावे है सो उणार एवज थे काम करजो और थारो कुरब इण .