Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास
राज्यारोहण होते ही उसने प्रचलित हिन्दू प्रथाओं और राज्यपदों के लिए हिन्दुओं की नियुक्ति बन्द कर दी ।' सन् 1702 ई. में उसने फौज से भी हिन्दुओं को हटा दिया ।' उसने हिन्दुओं पर जजिया कर लगा दिया। इसकी पुष्टि न केवल इतिहास से होती है, अपितु तत्कालीन कवियों के साहित्य से भी होती है । कवि मथुरादास ने औरंगजेब नीति का उल्लेख निम्नलिखित शब्दों में किया है -
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काजी मुल्ला की करें बढ़ाई, हिन्दू को जजिया लगवाई। हिन्दू डाँड देय सब कोई, बरस दिनन में जैसा होई ॥ औरंगजेब ने कितने ही हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया तथा हिन्दुओं को बुरी तरह कत्ल करवा दिया -
कुंभकन असुर औतारी अवरंगजैब, किन्ही कल मथुरा दोहाई फेरि रक्की । खोदि डारे देवी देव देवल अनेक सोई, पेखी निज पारान ते छुटी माल सबकी ॥ भूषन भनत भाग्यो कासीपति विश्वनाथ, और क्या गिनाऊँ नाम गिनती में अबकी । दिनमें डरनलागे चारों वर्ण वाहीसमे सिवाजी न हो तो तो सुभीति होति सबकी ॥
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि अकबर ने जिस मुगल साम्राज्य की नींव डाली और राष्ट्रीय राज्य का निर्माण किया। औरंगजेब ने उसका अन्त कर दिया। औरंगजेब की मृत्यु के अनन्तर उसके पुत्रों में भयंकर भ्रातृभाती गृहयुद्ध चलता रहा और अन्ततोगत्त्वा बहादुरशाह ने अपने पराक्रम और शौर्य से भारत का सिंहासन प्राप्त कर लिया ।
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बहादुरशाह का जीवन संघर्ष प्रधान और राजनीतिक आँधियों का सामना करने में व्यतीत हुआ। इसके राज्यकाल में सिक्खों के साथ प्राय: पाँच वर्षों तक युद्ध होते रहे। अपने शासन काल में उसे राजपूतों से भी संघर्ष और युद्ध करना पड़ा। सन् 1712 मैं बहादुरशाह की के मृत्यु उसके पश्चात् उत्तराधिकारियों में लगभग 1 वर्ष तक राज्यसिंहासन के लिये युद्ध हुआ ।
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2. वही पृष्ठ 277
1. औरंगजेब सरकार जिल्द 3 पृष्ठ 100
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3. परिचयी, मथुरादास पृष्ठ 16
4. भूषण ग्रन्थावली, शिवा बावनी पृष्ठ 49 50
5. विलियम इरविन दो लेटर मुगल्स, पृष्ठ 73, 115
6. वही पृष्ठ 66