Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास : मुक्तक काव्य के अन्तर्गत आने वाली भूधरदास की अनेक रचनाएँ विविध संग्रहों में संग्रहीत हैं । उनमें कई तो उनके “पार्श्वपुराण" एवं “पदसंग्रह" से ही ली गई है, परन्तु उन्हें पृथक् रूप से या पृथक् नाम से प्रकाशित कर नई रचनाएँ मान लिया गया है। उदाहरणार्थ - बारह भावनाएँ, सोलहकारण भावना, बज्रनाभि चक्रवर्ती की वैराग्य भावना, बाबीस परिषह आदि “पार्श्वपुराण" के अन्तर्गत तथा अनेक विनतियाँ, स्तोत्र, नौकार महातम की ढाल, होलियाँ, गुरुस्तुति आदि “पदसंग्रह" के अन्तर्गत ही हैं।
यद्यपि भूधरदास की सम्पूर्ण रचनाओं को खोजने हेतु राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश के अनेक शास्त्रभण्डारों को देखा गया है, अनेक विद्वानों से सम्पर्क किया गया है, चर्चाएँ की गई हैं; तथापि भविष्य में भूधरदास की अन्य किसी फुटकर रचना की उपलब्धता से इन्कार नहीं किया जा सकता है; क्योंकि ज्योंज्यों प्राचीन साहित्य की खोज होती जा रही है, त्यों-त्यों नई रचनाएँ प्रकाश में आती जा रही हैं। भूधरदास की समग्र रचनाओं के बारे में अनेक मान्य विद्वानों, समीक्षकों एवं जैन इतिहास लेखकों ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन सभी ने भूधरदास की तीन प्रमुख रचनाएँ ही मानी हैं - 1. पावपुराण 2. जैन शतक और 3. पदसंग्रह ! परन्तु डॉ. पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल ने "भूधरविलास" नामक एक अन्य हस्तलिखित ग्रन्थ के प्राप्त होने का उल्लेख किया है। डॉ. प्रेमसागर जैन ने भी "भूधरविलास" की एक प्रति जयपुर के ठोलियान मन्दिर में वेष्टन क्रमांक 132 में उपलब्ध होने का उल्लेख किया है। इसकी एक प्रति दिगम्बर जैन मारवाडी मन्दिर शक्कर बाजार इन्दौर में वेष्टन क्रमांक 391 में उपलब्ध है । “भूधरविलास" नामक एक कृति का प्रकाशन “जिनवाणी प्रचारक कार्यालय" कलकत्ता से हुआ है। वास्तव में यह भूधरदास की नवीन रचना । नहीं है, अपित पदों का संग्रह ही है; जो "पदसंग्रह" के नाम से प्रकाशित न
1, (क) तीर्थकर महावीर और उनकी परम्परा, भाग 4 - डॉ. नेमिचन्द शास्त्री पृष्ठ 273
(ख) हिन्दी पद संग्रह - डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल पृष्ठ 143 (ग) हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास, जैन हितैषी 131 - पंडित नाथूराम प्रेमी पृष्ठ 12 (घ ) जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास - बाबू कामताप्रसाद जैन पृष्ठ 172 (इ) कविवर भूधरदास और जैन शतक - बाबू शिखरचन्द जैन पृष्ठ 8 (च) अध्यात्म भजन गंगा • पंडित ज्ञानचन्द जैन पृष्ठ 46 2. काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका, खोज में उपलब्ध, हस्तलिखित ग्रन्थों का __ 14 वां त्रैवार्षिक विवरण परिशिष्ट 3. हिन्दी जैन भक्त काव्य और कवि - डॉ. प्रेमचन्द जैन पृष्ठ 332