Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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एक समालोचनात्मक अध्ययन
137 करके “भूधरविलास" के नाम से प्रकाशित की गई है। “भूधरविलास" में "पदसंग्रह" के 3 पद यथावत प्रकाशित हैं, जबकि “पदसंग्रह" में 27 अन्य पद सहित कुल 80 पद उपलब्ध हैं। इस तरह “भूधरविलास" पृथक् रचना सिद्ध नहीं हो पाती है। अत: निहला को पदमा ने प्रशाः परविलास" नामक रचना की उपलब्धता के भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए।
इसी तरह पंडित परमानन्द शास्त्री ने भूधरदास की एक अन्य अनुपलब्ध कृति “कलियुग चरित" का उल्लेख किया है, परन्तु इस संबंध में उनके द्वारा कोई प्रमाण नहीं दिया गया। इधर अनेक शास्त्रभण्डारों के अवलोकन एवं विद्वत्जनों के सम्पर्क से यह प्रमाणित हो. गया है कि भूधरदास द्वारा रचित “कलियुग चरित' नामक कोई रचना नहीं है। डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल द्वारा लिखित “राजस्थान जैन शास्त्र भण्डार की सूची भाग-3" में इस रचना का उल्लेख तो है, किन्तु रचयिता के नाम के स्थान पर रिक्त स्थान है । रचना और रचयिता का ठीक से मिलान न करने पर कोई उसे गलती से भूधरदास की रचना समझ सकता है, परन्तु वह वास्तव में भूधरदास की रचना नहीं हैं। अत: उसे (कलियुग चरित को) भूधर-साहित्य में स्थान नहीं दिया जा सकता है।
अन्य फुटकर रचनाओं में समाहित हाने वाली कवि की “गजभावना" और "पंचमेरू पूजा" नामक दो अन्य रचनाओं का उल्लेख जयपुर के ठोलियान मन्दिर में उपलब्ध शास्त्र भण्डार की सूची में किया गया है।
स्वर्गीय पंडित पन्नालाल बाकलीवाल द्वारा प्रकाशित वृहज्जिनवाणी संग्रह में भूधरदास रचित परमार्थ जकड़ी, बारह भावना गुरुस्तुतियाँ, जिनेन्द्रस्तुतियाँ, पार्श्वनाथ स्तुति, पार्श्वनाथ स्तोत्र, एकीभाव स्तोत्र भाषा, वैराग्य भावना एवं बाबीस परिषह आदि अनेक रचनाओं को स्थान दिया गया है।
इस तरह भूधरदास की गद्य रचनाओं में एक मात्र “चर्चा समाधान", पद्य रचनाओं में महाकाव्य “पार्श्वपुराण", मुक्तक काव्य के अन्तर्गत जैनशतक, पदसंग्रह अन्य सभी फुटकर रचनाएँ एवं यत्र-तत्र बिखरे हुए पद समझना चाहिए।
हिन्दी साहित्य के वृहद् इतिहास भाग-7 में भूधरदास की तीन महत्वपूर्ण रचनाओं - पार्श्वपुराण, जैनशतक एवं पदसंग्रह की जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित हिन्दी ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण एवं काशी नागरी प्रचारिणी सभा की शोध रिपोर्ट में भी भूधरदास की जानकारी दी गई है। 1. अनेकान्त वर्ष 10, किरण 1