Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
View full book text
________________
एक समालोचनात्मक अध्ययन
प्रकार एक घटना दूसरी घटना से पूर्णतः सम्बद्ध है । कवि की घटना गुम्फनकला की यह विशेषता है कि उसने अपने कथानक में पार्श्वनाथ के दस जन्मों की कथा को व्यवस्थित रूप प्रदान किया है तथा पार्श्वनाथ के जन्म में होने वाले तीर्थंकरत्व सूचक पंचकल्याणकों को सुसम्बद्ध श्रृंखला प्रदान की है।
191
-
पार्श्वपुराण के कथानक को हम दो भागों में बाँट सकते हैं इतिवृत्तात्मक और रसात्मक । इतिवृत का कार्य उन परिस्थितियों एवं घटनाओं का निर्माण करना तथा सूचना देना होता है, जिनमें पात्र अपने भावों की विशद व्यंजना कर सकें। रसपूर्ण स्थलों का कार्य पाठक के हृदय में रस की गहरी अनुभूति जगाना है। कोरे इतिवृत्तात्मक स्थल रस की सृष्टि नहीं कर सकते हैं। महाकाव्य में वास्तविक महत्त्व तो उन रसात्मक स्थलों का होता है, जो कथानक के बीचबीच में आते रहते हैं, और जिसके प्रभाव से सम्पूर्ण कथा में रसात्मकता आ जाती है । इतिवृत्त पाठक की कथानक को जानने की इच्छा की सन्तुष्टि करता हैं तो रसात्मक स्थल उसके हृदय की वृत्तियों को लीन कर उसे रसमग्न बनाते हैं। पार्श्वपुराण में ऐसे अनेक स्थल हैं; जो बहुत ही मर्मस्पर्शी एवं रसपूर्ण हैं। तीर्थंकर के गर्भ में आने, जन्म लेने, तप के लिये जाने, केवलज्ञान के उत्पन्न होने और मोक्ष प्राप्त करने के अवसर पर जो उत्सव मनाये जाते हैं, उन्हें कल्याणक कहते हैं। कल्याण करने वाले होने से उनकी "कल्याणक" संज्ञा सार्थक है । "पार्श्वपुराण में भूधरदास ने प्रत्येक कल्याणक का पृथक् पृथक् सर्गों में वर्णन किया है तथा एक-एक कल्याणक में एक-एक सर्ग पूरा किया
I
इन पाँचों कल्याणकों में गर्भ और जन्म कल्याणक का सरस और मनोहारी वर्णन किया है । जो स्थल रसपूर्ण और मार्मिक बन पड़े हैं, वे हैं - रुचिकवासिनी देवियों द्वारा माता की सेवा, सद्यजात बाल तीर्थंकर का पाण्डुक शिला पर जन्माभिषेक, 2 इन्द्र को ताण्डव नृत्य तथा बालक पार्श्वनाथ की बालक्रीड़ाएँ ।'
1
1. पार्श्वपुराण – भूधरदास, कलकत्ता, अधिकार 5 पृष्ठ 49
2. पार्श्वपुराण – भूधरदास, कलकत्ता, अधिकार 6 पृष्ठ 54-55 3. पार्श्वपुराण – भूधरदास, कलकत्ता, अधिकार 6 पृष्ठ 57-58 4. पार्श्वपुराण - भूधरदास, कलकत्ता, अधिकार 7 पृष्ठ 59