Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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एक समालोचनात्मक अध्ययन
किसी स्त्री से नहीं जुड़ पाता है । अतः प्रधान पात्रों में पार्श्वनाथ और संवर हो स्थान पा सके हैं।
: गौण पात्रों का चरित्र चित्रण
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जिन पात्रों का कथानक से सीधा सम्बन्ध नहीं होता है तथा जो कथानक प्रमुख पात्रों के साधन बनकर उपस्थित होते हैं, वे गौण पात्र माने जाते हैं
में
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“पार्श्वपुराण” में गौण पात्रों के रूप में नायक "पार्श्वनाथ" के अनेक जन्मों के माता-पिता, बन्धु-बान्धव, मित्र आदि को स्थान दिया जा सकता है । पार्श्वनाथ का चरित्र सुनने के इच्छुक राजा श्रेणिक तथा पार्श्वनाथ के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान एवं निर्वाण कल्याणक मनाने वाले इन्द्रादि देव भी इसी कोटि के पात्रों में गिने जायेंगे ।
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राजा अरविन्द कमठ एवं मरुभूति के पिता विश्वभूति मंत्री थे । वे जिस राजा के मन्त्री थे उसका नाम था “ अरविन्द ” । राजा अरविन्द को स्वर्ग के इन्द्र के समान वैभवसम्पन्न, न्यायवान, सज्जन, दयावान, गुणानुरागी, रणवीर, दान करने वाले के रूप में त्यागी एवं प्रजापालक चित्रित किया गया है। जब वे विरक्त होकर मुनि दीक्षा ले लेते हैं तब वे मुनि के योग्य आहार विहार आदि करते हुए बारह प्रकार के कठिन तप करते हैं तथा छह काय के जीवों की रक्षा में तत्पर रहते हैं ।
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मन्त्री विश्वभूति एवं उनकी पत्नी मरूभूति के पिता विश्वभूति बुद्धिमान एवं सज्जन ब्राह्मण थे एवं उनकी पत्नी रूप, शील आदि गुणों से युक्त थीं -
तिस भूपति के वित्र सुजान। विश्वभूति मंत्री बुधिमान ॥ तको तिया अनूधर सती । रूप शील गुण लक्षणक्ती ॥
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राजा विद्युतगति एवं रानी विद्युतमाला चौथे जन्म में मरूभूति "अग्निवेर” नामक पुत्र के रूप में विद्युतगति एवं विद्युतमाला के यहाँ जन्म लेता है । राजा विद्युतगति न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करने वाले, नीतिनिपुण, धर्मज्ञ, संतों के बतलाये हुए मार्ग पर चलने वाले हैं। उनकी विद्युतमाला नाम की सुन्दर एवं चतुर स्त्री है। जिस प्रकार कामदेव को रति का योग बना, उसी प्रकार विद्युत गतिको विद्युतमाला का योग बना । "
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1. पार्श्वपुराण – कलकत्ता, अधिकार 1, पृष्ठ 4 3. वही, अधिकार 1, पृष्ठ 5
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2. वही
4. वही
अधिकार 2, पृष्ठ 10 अधिकार 2, पृष्ठ 12