Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास :
चतुर्थ अधिकार :- अहमिन्द्र आयु पूर्ण कर वज्रबाहु राजा की प्रभाकरी रानी के गर्भ से “आनन्द" नामक पुत्र होता है। महामंडलीक राजा बनकर वह स्वतकेश को देखने मात्र से विरक्त होकर दीक्षा ले लेता है। सोलहकारण भावनाओं को भाने से "आनन्द मुनि" तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध करते हैं । भील नरक से निकलकर सिंह बनता है। सिंह मुनि का भक्षण करता है। मुनि आत्मध्यानपूर्वक शरीरत्याग आनत स्वर्ग में इन्द्र होते हैं।
पंचम अधिकार :- इन्द्र की आयु छह माह शेष रहने पर सौधर्म इन्द्र, आनतेन्द्र का जन्म बनारस में अश्वसेन राजा के यहाँ होना जानकर कुबेर को तभी से उनके यहां पंचाश्चर्य करने की तथा गर्भ में आने के समय श्री आदि देवियों को उनकी रानी वामादेवी के गर्भशोधन की आज्ञा देता है। वैशाख कृष्ण द्वितीया के दिन आनतेन्द्र अपनी आयु पूर्ण कर पार्श्वनाथ के रूप में वामादेवी के गर्भ में आता है। गर्भ में आने पर इन्द्रादि देव गर्भ कल्याणक मनाने बनारस आते हैं तथा गर्भकल्याणक मनाकर छप्पन कुमारियों को माता की सेवा में नियुक्त कर अपने अपने स्थान वापिस चले जाते हैं।
षष्ठ अधिकार :- गर्भ के नौ माह पूर्ण होने पर पौष कृष्ण एकादशी को “पार्श्वनाथ" का जन्म होता है । पार्श्वनाथ के जन्म के दस अतिशयों द्वारा उनका जन्म हुआ जान इन्द्रादि सपरिवार जन्मकल्याणक मनाने आते हैं । पार्श्वनाथ का मेरू पर्वत पर जन्माभिषेक करके वस्त्राभूषण से अलंकृत कर माता पिता को सौंपते हैं तथा जन्मकल्याणक का नियोग पूर्ण कर वापिस चले जाते हैं।
- सप्तम अधिकार :- पार्श्वनाथ देवकुमारों के साथ बालक्रिडाएँ करते हुए वृद्धि को प्राप्त होते हैं । ये आठ वर्ष में अणुव्रत धारण कर लेते हैं । सिंह मरकर नारकी होता है। वह नरक से निकलकर कई जन्म धारण करने के पश्चात् पार्श्वनाथ का नाना होता है। पार्श्वनाथ देवकुमारों के साथ बालक्रीडाएं करते हुए वृद्धि को प्राप्त होते हैं । ये आठ वर्ष में अणुवत धारण कर लेते है। एक दिन जब पार्श्वनाथ वनविहार के लिये जाते हैं, तब नाना को पंचाग्नि तप करते हुए देखकर अग्नि में लकड़ी डालने का मना करते हैं। क्रोधित होकर नाना द्वारा लकड़ी के फाड़ने पर उसमें से नाग नागिन निकलते हैं। पार्श्वनाथ के सम्बोधन द्वारा वे दोनों स्वर्ग में धरणेन्द्र, पद्यावती बन जाते हैं।