Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास :
उपर्युक्त पहली पंक्ति वाले अप्रकाशित 7 पद विभिन्न गुटकों में उपलब्ध हुये हैं। इस तरह 89 प्रकाशित पद और 7 अप्रकाशित पद कुल मिलाकर 96 पद कवि द्वारा प्रणीत हुए हैं। इन 96 पदों के अतिरिक्त अन्य पदों को भी देश के विभिन्न शास्त्र भण्डारों को देखकर खोजने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है; क्योंकि खोज की सम्भावनाएँ अनन्त हैं और खोजने का प्रयत्न सीमित नरन्तु फिर भी अभी तक की गई खोज, मदि, आलोड़न और निर्धारण के आधार पर भूधरदास के पद 96 ही समझना चाहिए ।
इन पदों को विषय-वस्तु की दृष्टि से अनेक रूपों में विभाजित किया जा. सकता है जैसे - स्तुतिपरक या भक्तिपरक नीतिपरक अध्यात्मपरक, उपदेशपरक इत्यादि । परन्तु इस विभाजन में कोई स्पष्ट और निश्चित रेखा खींचना कठिन है, फिर भी “भूधरविलास” के पदों का विषयपरक विभाजन निम्नलिखित है
भक्तिपरक :- देव, शास्त्र, गुरु एवं धर्म के प्रति कवि ने जो भक्ति-भाव प्रदर्शित किया है वह इन पदों में अभिव्यंजित हुआ है। कवि ने जिनेन्द्र प्रभु की भक्ति तो सामान्य रूप से की ही है, परन्तु तीर्थंकरों की भी विशेष भक्ति की है । भक्तिपरक पदों का विवरण इस प्रकार है1. सामान्य जिनेन्द्र प्रभु की भक्ति में लिखित कुल पद 15 - पद क्रमांक
15, 16, 17, 22, 25, 33, 35, 39, 40, 43, 48, 51, 52 53 एवं 59 2. ऋषभदेव तीर्थंकर की भक्ति में लिखित कुल पद 2 . पद क्रमांक 23, 24 3. अजितनाथ तीर्थकर की भक्ति में लिखित कुल पद 1. पद क्रमांक 3 4. शांतिनाथ तीर्थकर की भक्ति में लिखित कुल पद 1 - पद क्रमांक 34 5. नेमिनाथ तीर्थंकर की भक्ति में लिखित कुल पद 4 - पद क्रमांक 5,19,26,42 6. सीमन्धर तीर्थकर की भक्ति में लिखित कुल पद 2 - पद क्रमांक 2, 3 7. कुलकर नाभिराय की भक्ति में लिखित कुल पद 1 - पद क्रमांक 1 8. अर्हन्त, सिद्ध, साधु, धर्म की भक्ति में लिखित कुल पद 1 . पद क्रमांक 38 9. गुरु की भक्ति में लिखित कुल पद 3 . पद क्रमांक 6, 7, 12