Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास :
(ख) रचनाओं का परिचयात्मक अनुशीलन
: गद्य साहित्य : चर्चा समाधान :- भूधरदास द्वारा गद्य में लिखी हुई एक मात्र कृति “चर्चा समाधान" नाम से उपलब्ध है। इस कृति का प्रकाशन “जिनवाणी प्रचारक कार्यालय” कलकत्ता द्वारा हुआ है । लेखक को इसके “चर्चा समाधान और “चर्चा निर्णय यह दोनों नाम अभीष्ट हैं। इस कृति में जैनदर्शन से सम्बन्धित 139 शंकाओं का समाधान किया गया है। अनेक शंकाओं के समाधान में अपने उत्तर की पुष्टि हेतु विविध जैन ग्रंथों के प्रमाण एवं उद्धरण भी दिये गये हैं। अनेक शंकाओं के समाधान में कई प्रतिशंकाएँ उत्पन्न करके उनके भी समाधान किये गये हैं। सभी समाधानों में यथासम्भव अनेक ग्रंथ के नाम प्रमाण एवं उद्धरण मिलते हैं, जिनका विवरण यथास्थान दिया जायेगा। यह कृति पूर्णतया सैद्धान्तिक एवं धार्मिक है। इसमें जैन सिद्धान्तों का प्रश्नोत्तर ( शंका-समाधान) के माध्यम से विवेचन किया गया है। संक्षेप में इस ग्रंथ की विषयवस्तु निम्नलिखित है -
यद्यपि यह गद्य रचना है; परन्तु इसके प्रारम्भ में मंगलाचरण, कुछ उपदेशात्मक बातें, जैन धर्म की विशेषतायें, उसकी वर्तमान स्थिति, जिज्ञासापूर्वक अध्ययन करने की प्रेरणा आदि तथा ग्रंथ के अन्त की प्रशस्ति पद्य में दी गयी
सर्वप्रथम मंगलाचरण के रूप में महावीर, जिनवाणी एवं गौतम गणधर को अष्टांग प्रणाम किया है। पश्चात् अष्टांग प्रणाम का स्वरूप लिखा है। कामभोग को आदि में मधुर और अवसान में कटु तथा तप-वैराग्य को आदि में विरस और अवसान में मधु बतलाया गया है । इसीप्रकार वैरभाव को आदि अन्त में विरस व दुःख रूप तथा मैत्री भाव को आदि अन्त में अनुपम मधुर बतलाया है। काम-भोग तथा वैरभाव को अहितकारी बतलाकर त्यागने तथा तफ्वैराग्य व मैत्री भाव को हितकारी बतलाकर ग्रहण करने का उपदेश दिया
यह चर्चारूपी ग्रन्थ जिनागमरूपी सागर से निकला है, इसलिए निरन्तर इसका पान करो। जेठ महीने के बड़े दिन और माघ माह की बड़ी रात जिनमत
1.चर्चा समाधान पृष्ठ 4
2. चर्चा समाधान पृष्ठ 4