Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
View full book text
________________
132
महाकवि भूधरदास :
5. त्रिलोक प्रज्ञप्ति में, कथन कियो बुधराज ।
___ सो भविजन अवधारियो, संशय मेटन काज ॥'. 6. ये सब नौ अधिकार, जीव सिद्ध कारन कहे।
इनको कछु विस्तार, लिखो जिनागम देखि के।।' 7. यह ग्यारह प्रतिमा कथन, लिख्यो सिद्धान्त निहार।
और प्रश्न बाकी रहे अब तिनको अधिकार ।।' 8. अब तिनको आकार कछु, एक देश अवधार।
लिखो एक दृष्टान्त करि, जिनशासन अनुसार ॥* 9. पूरब चरित दिलोक कै, भूधर बुद्धि समान ।
भाषा बन्ध प्रबन्ध यह कियो आगरे थान ॥' 10. जैन सूत्र की साख सों, स्व-पर हेत उर आन ।
चरचा निर्नय लिखत हैं, कीजो पुरुष प्रमान ॥' 11. जिन श्रुति सागर ते कन्यो, चरचा अमृत महान ।
अति अंजुलि परमान निज, करो निरन्तर पान ॥' 12. राति दिवस चिंतन कियो, विविध ग्रन्थ को भेव ।
देखि दीन को श्रम अधिक, दया दक्षिणा देव ॥ 13. “इह चरचा समाधान ग्रन्थ विर्षे केतेक सन्देह साधर्मी जनों के लिखे
आए, शास्त्रानुसार तिनका समाधान हुवा है सो लिखा है।" यह चरचा समाधान नाम ग्रन्थ मान बढ़ाई के आशय सूं अथवा अपनी प्रसिद्धि बढ़ावने तथा वचन के पक्ष सौं नाहीं लिखा,
यथावत् श्रद्धान के निमित्त शास्त्र की साख सौं लिखा है।" 10 1. पार्श्वपुराण पृष्ठ 69 2. पार्श्वपुराण पृष्ठ 79 3. पार्श्वपुराण पृष्ठ 884. पार्श्वपुराण पृष्ठ 94 5. पार्श्वपुराण पृष्ठ 956. चर्चा समाधान पृष्ठ 4 7. चर्चा समाधान पृष्ठ 1 . चर्चा समाधान पृष्ठ 123 9. चर्चा समाधान पृष्ठ 4 10. चर्चा समाधान पृष्ठ 121