Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास :
अनेक व्यक्तियों का अधिक्रम ( Hicrarchy) था; जिसमें गाँव के कर्मचारी, स्थानीय जमीदार और जागीरदार सभी सामिल थे।'
शासन की ओर से कृषकों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कोई विशेष प्रयल नहीं किये जाते थे तथा खेती के लिए कोई विशेष सविधाएँ नहीं दी जाती थी। इसके बावजूद भी विभिन्न प्रकार की फसलें भारत में उत्पन्न की जाती थीं। गेहूँ, चावल, कपास, गन्ना, तिलहन, जौ, मक्का, नील, बाजरा, पान, अदरक, गरममसाले, फल आदि प्रचुर मात्रा में उत्पन्न किये जाते थे।
देश में अनेक धन्धे विकसित थे। कपड़ा उद्योग उस समय का प्रमुख उद्योग था । सूती, रेशमी, ऊनी आदि सभी प्रकार के वस्त्रों के उद्योग थे। शकर, कागज, पत्थर की कटाई, बर्तन बनाना, हाथी दाँत की वस्तुएँ बनाना, कलई करना, शस्त्रों का निर्माण करना, रंगाई-छपाई आदि अनेक छोटे बड़े उद्योग धन्धे उस समय थे। व्यक्तिगत कारखानों के अतिरिक्त सरकार द्वारा खोले गये ऐसे कारखाने भी थे: जो शाही परिवार और अभिजात्य वर्ग के लोगों के लिए भोग उपभोग की उत्तम किस्म की वस्तुएं बनाते थे।
भारत में आन्तरिक व्यापार उन्नत था। आन्तरिक व्यापार थलमार्गों और जलमार्गों द्वारा होता था। दूरस्थ प्रदेशों को जोड़ने वाली सड़के थीं। भारत के विभिन्न नगरों में भिन्न-भिन्न वस्तुओं की मंडियाँ थीं और ये नगर आपस में विभिन्न मार्गों द्वारा जुड़े हुए थे।
मारत का विदेशी व्यापार आन्तरिक व्यापार से अधिक उन्नत था। भारत विदेशों को सूती, रेशमी, ऊनी कपड़े, लकड़ी तथा धातुओं की वस्तुएँ, नील और कागज आदि अनेक वस्तुएँ निर्यात करता था।* ईरान, अरब, यूरोप, चीन अफ्रीका, मध्य एशिया, अफगानिस्तान आदि देशों से व्यापार होता था। गोआ, ड्यू, चोल, कालीकट, कोचिन, क्यूलोन आदि पश्चिमी तट के तथा बंगाल, उड़ीसा आदि पूर्वी तट के प्रमुख बन्दरगाह थे। ईरान, तिब्बत, नेपाल, अफगानिस्तान, भूटान आदि देशों में थल मार्ग द्वारा व्यापार होता था।
भारत की कृषि, उद्योग धन्धे, व्यापार आदि सभी की आर्थिक उन्नति का लाभ शासक और उच्च वर्ग के लोगों को ही मिलता था, जनसाधारण को नहीं । 1. सभ्यता की कहानी : मध्यकालीन विश्व अर्जुनदेव पृष्ठ 137 2. अभिनव इतिहास दीनानाथ शर्मा , पृष्ठ 120 3. अभिनव इतिहास पृष्ठ 119 एवं सभ्यता की कहानी पृष्ठ 137 4. सभ्यता की कहानी पृष्ठ 137