Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास : काजी मुल्ला करे बड़ाई, हिन्दू को जजिया लगवाई।
हिन्दू खाँड देय सब कोई, बरस दिनन में जैसा होई॥'
औरंगजेब ने राज्य में मन्दिरों को गिराने की आज्ञा जारी कर दी। सेना में एक पद दरोगा का कायम किया गया जिसका प्रमुख कार्य मूर्तियाँ तोड़ना
और मंदिर गिराना ही था। सरकारी नौकरियों में हिन्दुओं को नियुक्ति बन्द करवा दी गई। मालविभाग और सेना में से हिन्दुओं को निकालने की आज्ञा दे दी गई। ' राजपूतों को छोड़कर हिन्दुओं का हाथी व पालकी पर बैठना निषिद्ध कर दिया। औरंगजेब की करनीति भी पक्षपात पूर्ण थी । औरंगजेब की दमनकारी नीति की ज्यादती सिक्खों के ऊपर विशेष रूप से दृष्टिगोचर होती है। 4 गुरुतेग बहादुर को हन्दी नागका प्रमाणपत्र देना उसकी संकीर्णता का ज्वलन्त उदाहरण है। मथुरादास रचित "परिचयी" में भी इसका उल्लेख निम्न प्रकार मिलता है -
नानक ने शिष्यन को पूछा, गुरु का धरम न तुमही सूझा। डरे सरीर छोडयो हरिराई तेग बहादुर प्रकटे आई॥
बादशाह तेहि पकड़ अहकारा, कला न देखा करदन मारा।' संक्षेप में हम कह सकते हैं कि अकबर ने सोलहवीं शताब्दी में धार्मिक सहिष्णुता की जिस नीति को अपनाया था, औरंगजेब ने सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उसका पूर्णतः परित्याग कर दिया । वह कट्टरपंथी मुस्लिम शासक के रूप में धार्मिक असहिष्णुता की चरम सीमा छू गया था।
धार्मिक असहिष्णुता की यह नीति उत्तरकालीन मुगल सम्राटों में भी दिखाई देती है । बहादुरशाह (सन् 1707-11) की सरकार बड़ी कठोर थी । वह मुसलमानों के साथ पक्षपात करती थी। हिन्दुओं पर जजिया कर और तीर्थयात्रा कर यथावत् जारी रहे। जहाँदरशाह भी उसी के पदचिह्नों पर चलता रहा।'
औरंगजेब के अनेक उत्तराधिकारियों ने उसकी कट्टरनीति का परित्याग करके 1. “परिषयी मथुरादास पृष्ठ 16 2. औरंगजेब, सरकार जिल्द 3 पृष्ठ 277 3. ओरंगजेब, सरकार जिल्द 3 पृष्ठ 301, 302 4, दी रिलीजस पालिसी ऑफ दी मुगल एम्पर्स श्रीराम शर्मा, पृष्ठ 135 5. श्रीराम शर्मा पृष्ठ 166 एवं भक्तिमाल पृष्ठ 160 6. परिचयी मथुरादास पृष्ठ 17 7, मुगलकालीन भारत” डॉ. आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव पृष्ठ 546