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एक विभाग है प्राचीन महापुरुषोंकी जीवनियोंका और दूसरा
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विभाग है, अर्वाचीन जैन सद्गृहस्थों के परिचयोंका | प्राचीन महापुरुषोंकी जीवनियोंका कार्य कठिन है; परंतु परंतु वर्तमान सद्गृहस्थों के परिचयका कार्य अत्यंत कठिन निकला । कठिनाइयों और अवहेलनाओंका यदि वर्णन करने बैठूं तो शायद सौ दो सौ पेजकी एक खासी पुस्तक बन जाय । मगर मैं अपनी कठिनाइयों की गाथा सुनाकर अपने कृपालु पाठकों का समय बर्बाद न करूँगा । हाँ जिन सज्जनोंने मुझे उत्साह प्रदान किया और ग्रंथको छपाने के लिए पहलेसे धन प्रदानकर मेरा हौसला बढ़ उन सज्जनोंके नाम उपकारके साथ यहाँ स्मरण किये बगैर भी न रह सकूँगा । वे सज्जन हैं १ - सेठ वेलजी लखमसी B. A LL. B. बंबई । ( २ ) सेठ नानजी लद्धा बंबई । ( ३ ) यतिजी महाराज श्री अनूपचंद्रजी उदयपुर । ( ४ ) सेठ मणिलाल मेघजी थोभण बंबई ( ५ ) सेठ मोहनचंद्रजी मूथा दिगरस ( ६ ) सेठ कुंदनमलजी कोठारी दारव्हा । इनके अलावा वे सभी कृपालु ग्राहक जो पहले से ग्रंथके ग्राहक बने हैं और जिनके नाम सधन्यवाद आगे दिये गये हैं ।
उपकार माननेके बाद इस विलंब के लिए मैं नम्रतापूर्वक क्षमा माँगता हूँ । आशा है ग्राहकगण मुझे क्षमा करेंगे। मैं जानता हूँ कि पहलेसे रुपये देकर चार पाँच बरस तक ग्रंथ प्राप्त करनेके लिए राह देखना अति कठिन है; परंतु कृपालु ग्राहकोंने उस कठिनताको धीरज पूर्वक सहा इसके लिए मैं उनका अत्यंत आभारी हूँ ।
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