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प्राणियों के उद्धार का दीर्घकाल तक निमित्ताधार बनने वाली है, उसे पोदनपुर के दुर्गम वन में ढूंढकर क्या होगा? तुम कब तक, किसे-किसे पोदनपुर की यात्रा कराओगे ? उस मूति को तो अब यहीं प्रकट करना है। कार्य दुष्कर भले लगता हो, पर तुम्हारे लिए असम्भव नहीं। जाओ, मातेश्वरी की सहमति प्राप्त करो। कल प्रातःकाल दो घड़ी दिन चढ़े, यह शर-सन्धान तुम्हें करना है।' ___ 'यहीं बाहुबली प्रकट होंगे', आचार्य की यह वाणी सुनकर काललदेवी का मन आह्लादित हो उठा। उन्हें अब अपनी अभिलाषा की पूर्ति सहज सम्भव दिखाई देने लगी। अपने गोमट के सिर पर स्नेह भरा हाथ फेरकर उन्होंने सफलता के लिए अपने आशीष उस पर बिखेर दिये। __चामुण्डराय के यशस्वी करों से इतना बड़ा महान् कार्य सम्पादित होगा, इस सम्भावना ने आजितादेवी को गौरव की अनुभूति दी।
हर्ष विभोर सरस्वती जिनवन्दना का कोई पद भक्तिपूर्वक गुनगुना उठी।
कुछ समय तक नित नवीन ग्रामीण सखा-मित्रों के साथ वन-क्रीड़ा का अवसर मिलेगा, इस समाचार ने सौरभ को भी पुलकित कर दिया। __जिनदेव का उत्साह सौगुना हो गया । स्वप्न का वृतान्त और आचार्यश्री का निर्देश, कानों में पड़ते ही उसने व्यवस्था का प्रारम्भ कर दिया। समीपस्थ नगर में ही राज्यशिल्पी का निवास था । अनेक सुन्दर जिनबिम्बों का निर्माण करके वह ख्याति अर्जित कर चुका था। उसे लाने के लिए प्रस्थान करने में, जिनदेवन के स्वामिभक्त अश्वारोहियों को एक घड़ी का भी विलम्ब नहीं हुआ। शिल्पी ने चामुण्डराय के कटक में आकर ही रात्रि विश्राम किया।
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गोमटेश-गाथा | ४१