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शस्त्रों से क्या आज हमें आत्मघात करना होगा? एक ही पिता के इन पुत्रों का विवाद सुलझाने के लिए उन विशाल सेनाओं का प्रयोग क्या सचमुच ही अनिवार्य है ? इस युद्ध की परिणति हम सबके लिए दुखद हो होगी। यदि संघर्ष हआ तो किसी भी पक्ष का जो सैनिक हताहत होगा, वह हमारा ही व्यक्ति तो होगा। दोनों पक्षों को उसकी समान पीड़ा होगी। यह निरर्थक रक्तपात टालने का प्रयास करना चाहिए। उचित तो यह होगा कि दोनों सुभट द्वन्द्व युद्ध के द्वारा ही जयपराजय का निर्णय करलें। इस युक्ति से सेना का टकराव बचाया जा सकता है। सहस्रों सैनिकों का निरर्थक रक्तपात बचाने का यही एक मार्ग है।' ___ महामन्त्री की युक्ति को सभी का समर्थन मिला । सेनाध्यक्षों और अमात्यों को साथ ले तत्काल उन्होंने सम्राट के समक्ष अपनी मनोव्यथा का उद्घाटन किया और द्वन्द्व युद्ध का वह विकल्प सम्राट के समक्ष प्रस्तावित कर दिया। ___ महारानी यशस्वती और रानी सुनन्दा की ममता से अनुप्रेरित और महामन्त्री के संतुलित नीति-कौशल से सुविचारित, शक्तिपरीक्षण का यह प्रस्ताव, इस धरती पर रक्तपात-विहीन संघर्ष की प्रथम अभिस्तावना थी। आदि ब्रह्मा ऋषभदेव के धर्मशासन में हिंसा पर अहिंसा की विजय का यह प्रथम प्रयास था। युद्धक्षेत्र में अहिंसा के प्रयोग की धरा पर लिखा गया यह विश्व का प्रथम श्वेतपत्र था।
भरत का मन अशान्त था। चिन्तन में खोए हुए वे सम्राट, होनहार की अटलता के समक्ष चक्रवर्तित्व की क्षद्रता का और अपनी पराधीनता का आकलन कर रहे थे। पाप की पराधीनता से पीड़ित प्राणी उन्होंने अनेक देखे थे, किन्तु आज पुण्य की पराधीनता से अपने आपको पीड़ित पाकर वे सहम उठे थे । मन की उस छटपटाहट में वे स्वतन्त्र बुद्धि से निर्णय लेने में असमर्थ थे। जैसे बने वैसे, इस अप्रिय प्रसंग का समापन ही उनका अभीष्ट था। परिस्थितियों के क्षिप्र परिवर्तन के प्रति उन्होंने अपने आपको समर्पित-मा कर दिया था। महामन्त्री का सुझाव उन्हें उपयुक्त लगा। लोभ और मान कषाय के प्रवाह में प्रवहमान दोनों अभियुक्त, स्वयं अपनी शक्तियों के बल से अपनी-अपनी उदयानुकूल परिणति प्राप्त कर लें, निर्दोष सैनिकों का रक्त न बहे, इससे अच्छा अन्य विकल्प हो भी क्या सकता था? उन्होंने बिना बोले, मात्र सिर हिलाकर प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान कर दी।
द्वन्द्व युद्ध के इस प्रस्ताव पर बाहुबली को स्वीकृति मिलने में एक
६० / गोमटेश-गाथा