Book Title: Gomtesh Gatha
Author(s): Niraj Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 230
________________ को जाय वह कम ही होगी। हमारा तो यही कहना है कि जैन धर्म की प्रभावना, जैन साहित्य का प्रसार, और जैन संस्कृति का संरक्षण, यही आज के युग का सबसे बड़ा धर्म है। यही गृहस्थों का रत्नत्रय है। गंगनरेश और महामात्य इन धर्म कार्यों में संलग्न हैं, यह जैन संस्कृति का सौभाग्य है । धर्म की सेवा करने योग्य भक्ति, शक्ति और सामर्थ्य उन्हें सदा प्राप्त होती रहे ऐसी हमारी भावना है।' 'महामात्य की यह अनुपमेय रचना चिरस्थायी होकर उनकी कीर्ति को अमर करे, वे स्वयं भी साधना के मार्ग का अनुसरण करके अमरता प्राप्त करें। आप सबकी धर्म वृद्धि हो, यही हमारा आशीर्वाद 'गुरुवर आचार्य अजितसेन महाराज की जय।' 'सिद्धान्त चक्रवर्ती नेमिचन्द्राचार्य की जय।' जन समूह के उत्साह भरे घोष से गोमटपुर का गगन गूंज उठा। २०२ / गोमटेश-गाथा

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