Book Title: Gomtesh Gatha
Author(s): Niraj Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 236
________________ 'भरतेश सम्राट् छह-खण्ड की विजय-यात्रा के पश्चात्, मान के गज पर आरूढ़ अपनी प्रशस्ति अंकित करने के लिए वृषभाचल पर्वत पर गये थे। वे सोचते थे उनकी विजय अभूतपूर्व है परन्तु पर्वत की विशाल शिलाओं में ऐसे असंख्य चक्री राजाओं की उकेरी प्रशस्तियाँ देखकर ही उन्हें अपनी स्थिति का बोध हो गया।' ___वे चक्रवर्ती भरत एकबार पुनः कषाय के गज पर आरोहण कर गये। उनका अपने ही भ्राता पर, इन्हीं बाहुबली पर, कोपावेश में चलाया हुआ चक्र, जब निष्क्रिय होकर लौट आया, चक्रवर्ती की गरिमा पराजय के लाँछन से जब उनके हाथों खण्डित हुई, तभी वे यथार्थ की धरा पर उतर पाये। ___ 'अपने भगवान् बाहुबली भी दीक्षा के उपरान्त कुछ समय तक उसी गज-यात्रा के प्रमाद में प्रमत्त रहे। भरतेश चक्रवर्ती ने मूकूट उतारकर उनकी वन्दना की, विदुषी बहिनों ने, ब्राह्मी और सुन्दरी ने, सम्बोधन दिया, तभी वे परम अप्रमत्त होकर सर्वज्ञता प्राप्त कर सके।' - 'एक दिन यह शिल्पकार भी लोभ की गजपीठ पर चढ़कर विक्षिप्त हो गया। जननी की प्रताड़ना, और आचार्यश्री का संबोधन उसे मिले तभी प्रकृतिस्थ होकर वह अपनी साधना पूर्ण कर सका।' 'और किसी की क्या कहें ! हम स्वयं भी कल कुछ समय के लिए मान के इस मतवाले हाथी पर कुछ दूर तक घूम आये। आपने प्रत्यक्ष ही देखा, हमें धरती पर उतार लाने के लिए गुल्लिका-अज्जी को कष्ट करना पड़ा। - 'अपने भीतर झाँक कर देखें तो पायेंगे कि हम सब कहीं न कहीं, किसी न किसी कषाय के गज पर आरूढ़ हैं। इसलिए यथार्थ की धरा और समता की धारा से, हमारा सम्बन्ध जुड़ नहीं पाता। परन्तु यह हमारा सौभाग्य है कि हमें समीचीन धर्म की शरण प्राप्त हुई है। श्रवणबेलगोल जैसे पावन तीर्थों की वन्दना का अवसर मिलता रहे, आचार्य महाराज जैसे करुणायतन मुनिराजों के चरणों का सत्संग मिलता रहे, और इन बाहबली भगवान् जैसी वीतराग सौम्य मुद्रा का दर्शन यदि प्राप्त होता रहे, तो हम सबके जीवन में कभी न कभी, वह क्षण अवश्य आएगा जब हम कषायों के शिखर से उतरकर मार्दव की सुकोमल भूमि पर विचरण कर सकेंगे। चाह की दाह से बचकर, समता की शीतल धारा में अवगाह कर सकेंगे।' 'यह श्रवणबेलगोल तो शाश्वत और पवित्र तीर्थ है।' 'बाहुबली की यह भव्य प्रतिमा कला-जगत् की अनोखी निधि है। २०८ / गोमटेश-गाथा

Loading...

Page Navigation
1 ... 234 235 236 237 238 239 240