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है आज चामुण्डराय ? चारों ओर इन लोगों की तीक्ष्ण दृष्टि, देर तक दूर-दूर तक भटकती रही । भगवान् के अभिषेक की कामना लेकर जितने लोग पर्वत पर आये थे, सब अपने-अपने कलश बाहुबली पर ढार चुके थे । अभिषेक की अपूर्णता से चिन्तित वहाँ सभी थे, पर दुखी, दरिद्री और पीड़ित, सचमुच वहाँ कोई दिखाई नहीं दे रहा था ।
गोमटेश - गाथा / १८३