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इन्सान ही ईश्वर बन सकता है !
धर्म प्रेमी बन्धुओ, माताओ एवं बहनो ! .
इस विराट विश्व में मानव जीवन अन्य समस्त प्राणियों की अपेक्षा श्रेष्ठ जीवन है जो अनन्त पुण्यों के फलस्वरूप प्राप्त होता है। एक कवि ने कहा भी है :
नहीं आसान है इन्सान के घर में जनम पाना । जन्म लेने से भी मुश्किल है फिर इन्सान कहलाना ॥ पशुतर नीच योनी में भटकते हम रहे अब तक ।
खुली किस्मत तो हासिल हो गया इन्सान का बाना ॥ कवि का भी यही कथन है कि इन्सान के घर में जन्म प्राप्त करना अर्थात् मानव पर्याय पा लेना आसान नहीं है। पशुयोनि और उससे भी निकृष्ट नरक निगोदादि में अनन्त काल तक भटकने के पश्चात् सौभाग्य से हमें इन्सान का बाना प्राप्त हुआ है। ___ कवि ने और एक बात अत्यन्त महत्वपूर्ण कह दी है, वह यह कि इन्सान के रूप में जन्म लेने पर भी इन्सान कहलाना अत्यन्त कठिन है। ___ आप विचार करते होंगे कि जब मानव-शिशु बनकर जन्म लिया है तो फिर मानव तो कहलाएँगे ही, इसमें कौन सी बाधा आती है ? पर इसी बात का उत्तर हमें बड़ी गहराई से लेना और समझना होगा। __ सच्चा मानव या इन्सान वही कहलाएगा जिसमें मानवता अथवा इन्सानियत होगी। इसके अभाव में वह केवल आकृति से ही मानव कहलाएगा मानवोचित गुणों से परिपूर्ण मानव नहीं। शरीर से मानव बन जाने पर भी अगर उसमें मानवोचित गुण नहीं हैं तो वह पशु के समान अपना पेट भर लेने
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