Book Title: Anand Pravachan Part 04
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 350
________________ कषायों को जीतो! ३३५ कब तक बोलेगा ? थक कर चुप होगा ही मराठी में सन्त तुकाराम जी भी कहते हैं :"क्षमा शस्त्र ज्या नरा चिया हाती, दुष्ट तया प्रति काय करी ? तृण नाही जेथे पडिला दावाग्नि, जाय तो विझूनी आपसया।" ज्या च्या हातात क्षमा रूपी शस्त्र आहे त्याच्या पुढे दुष्ट मनुष्य सुद्धा काय करू शकेला? यानी, जिसके हाथ में क्षमा रूपी शस्त्र हो, उसके ऊपर दुष्ट स्वभाव वाला बरसकर भी क्या करेगा ? दृष्टांत बड़ा अच्छा तुकाराम जी ने दिया है कि जहाँ घास-फूस नहीं होगा, वहाँ आग गिरेगी भी तो किसको जलाएगी ? ___ तो मैं यह कह रहा था कि छोटी बहू जब नहीं बोली तो सेठानी कुछ शांत होने लगी किन्तु बहू को तो आज झगड़े की समाप्ति ही करनी थी अतः उसने मन में कुछ विचार किया और स्वयं रोटी का ग्रास खाकर रोटी का एक टुकड़ा सास को दिखाती हुई उसके सामने हिलाने लगी। यह देखकर सास आपे में न रही और बुरी तरह से भड़ककर बोली"बेशर्म, तू मुझे कुतिया समझती है क्या ?" बहू फिर भी चुप रही, पर सेठानी तो जो मुंह में आया बकती-झकती रही, बहुत देर तक । आखिर जब . बोलते-बोलते बुरी तरह थक गई और पसीना-पसीना हो गई तो चुप हुई। जब सास शांत हुई तब मौका देखकर बहू बोली___माता जी ! आप मेरी माके समान हैं, हमारी बुजुर्ग है, घर में सबसे बड़ी हैं । भला आप को मैं कुतिया समझ सकती हूं ?" ___ "मेरे सामने रोटी का टुकड़ा क्यों हिलाया था ?' सास ने अबकी बार बिना बके-झके पूछा । बहू ने उत्तर दिया - ____ "वह टुकड़ा मैंने आपके सामने नहीं हिलाया था। आपके हृदय में जो क्रोध-रूपी कुत्ता घुसा बैठा था, उसके सामने हिलाया था।" सेठानी थक-थकाकर शांत बैठी थी, अतः उसने अब गहराई से विचार किया तो उसकी समझ में आया कि-"बहू का कहना वास्तव में सत्य है। मुझ में क्रोध-रूपी कुत्ता ही घुसा हुआ था जो मुझे इस प्रकार बुराई का घर बनाए हुए था। आखिर क्रोध करने से मुझे क्या लाभ होता है ? कुछ भी नहीं, उलटे घर में अशांति होती है और निन्दा का पात्र बनना पड़ता है।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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