Book Title: Anand Pravachan Part 04
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 332
________________ शुभ फल प्रदायिनी सेवा ३१७ भाई की स्वतन्त्रता बर्दाश्त करते ? उन्होंने नहीं माना सो नहीं ही माना । अतः दोनों में युद्ध की नौबत आ गई । किन्तु फिर विचार हुआ कि झगड़ा जब हम दोनों का ही है तो फिर निरपराध अन्य व्यक्तियों का खून क्यों हो ? यही अच्छा हो कि हम दोनों ही द्वन्द्व युद्ध करें । इस प्रकार उनका दृष्टियुद्ध बाहुयुद्ध और मुष्टियुद्ध होना तय हुआ । प्रथम दोनों युद्धों में बाहुबलि जीत गए और फिर तीसरे मुष्टियुद्ध की बारी आई । चक्रवर्ती सम्राट् भरत को मुष्टि का प्रहार करने का अवसर पहले दिया गया । भरत ने प्रहार किया और प्रहार इतना जबर्दस्त था कि बाहुबलि घुटनों तक जमीन में चले गए । अब बारी बाहुबलि की थी। प्रथम दोनों युद्धों में जीत जाने के कारण चारों ओर जनता सांस रोके हुए खड़ी थी । सबको दृढ़ विश्वास था कि बाहूबलि का प्रहार भरत किसी प्रकार सह नहीं सकेंगे और निश्चय ही अनर्थ घट जायगा । पर युद्ध, युद्ध ही था और बाहुबलि को अब वार करना था । नियत समय पर बाहुबलि ने मुट्ठी बाँधी और हाथ उठाया । सबके कलेजे काँप उठे तथा भय के कारण पल भर को आँखें मुँद गई । पर यह क्या ? ज्योंहि लोगों ने नेत्र खोले सब विस्मय से देखते रह गए कि बाहुबलि का मुट्ठी वाला दाहिना हाथ अभी तक ऊपर ही उठा हुआ है, और वे कुछ विचार कर रहे हैं । इधर ज्योंहि बाहुबलि ने मुट्ठी ऊपर की बड़े भाई को मारने के लिये, त्योंही उनके मस्तिष्क में विचार कोंधा - ' अरे, मैं क्या कर रहा हूँ ? प्रथम तो बड़ा भाई पिता के बराबर होता है अतः मैं मानों पिता का संहार करने जा रहा हूँ । दूसरे यह पाप मैं किस लिये कर रहा हूँ ? धन-दौलत राज्य-पाट के लिये ही तो; यह क्या यह क्षणिक ऐश्वयं सदा मेरे साथ रहेगा ? मेरी आत्मा का इससे क्या भला होगा कुछ भी नहीं, उलटा कर्म-बन्धन होगा जो अलग ।” यह विचार मन में आते ही बाहूबलि ने भाई पर प्रहार करने का इरादा त्याग दिया पर अपनी उठाई हुई मुट्टी को निरर्थक जाने देना स्वीकार नहीं किया । आपको उत्सुकता होगी कि फिर क्या किया उन्होंने ? उन्होंने यह किया कि अपना हाथ अपने ही मस्तक की ओर ले आए तथा बालों का लुंचन करके सब कुछ त्याग कर मुनिवृत्ति धारण करली | तो बंधुओ, यह उदाहरण मैंने आपको सेवा के प्रसंग में दिया है । मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि बाहुबलि को एक चक्रवर्ती सम्राट से मुकाबला करने की ओर उसे जीत लेने की शक्ति कैसे प्राप्त हुई ? जबकि चक्रवर्ती Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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