Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla Publisher: Agam Prakashan SamitiPage 18
________________ महान् नेताओं ने भी आपके प्रवचनों का लाभ लिया था। सचमुचं पापको वाणो में निराला माधुर्य था, सरलता इतनी कि साधारण पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी उसे अच्छी तरह समझ लेता था। आपके मंगलमय उपदेश आज भी जनजीबन को नवजागरण का सन्देश दे रहे हैं / प्रात्म-शताब्दी वर्ष वि. सं. 2036 आपका जन्म-शताब्दी वर्ष है / यह पावन वर्ष है। ऐतिहासिक है। यह वर्ष विशेषरूप से पूज्य गुरुदेव के चरणों में श्रद्धासुमन समर्पित करने का है / __ स्व. गुरुदेव की जीवन की महान्तम उपलब्थि थी-जैन आगम साहित्य का विद्वानों तथा सर्वसाधारण के लिए उपयोगी संस्करण / यही उनकी हादिक भावना थी कि जैनागमज्ञान का यथार्थ प्रसार हो, जन-जन के हाथों में प्रागमज्ञान की मूल्यवान् मणियां पहुँचे / गुरुदेव श्री की इसी भावना को साकार रूप देने हेतु मैंने प्रज्ञापनासूत्र का अनुवाद-विवेचन करने का दायित्व लिया है। अपने श्रद्धेय गुरुदेव के प्रति यही मेरी श्रद्धाञ्जलि है / --ज्ञान मुनि [17] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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