Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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दसवाँ चरमपद]
अवक्तव्य ० ०
है, १४. कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप °
है, (किन्तु)
गह, (किन्तु)
१५. न तो एक अचरम और एक अवक्तव्य है, १६. न एक अचरम और अनेक अवक्तव्यरूप है, १७. न अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य है, (और) १८. न ही अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है, (किन्तु) १९. कथंचित् एक चरम, एक अचरम और एक अवक्तव्य pad' है, २०. न एक चरम एक अचरम
और अनेक अवक्तव्यरूप है, २१. न एक चरम, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य है, २२. न ही एक चरम, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है, (किन्तु) २३. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक अचरम और
है,
एक अवक्तव्य है, २४. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक अचरम और अनेक अवक्त २५. कथंचित् अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य गगन है, और २६. कथंचित् अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूपान
७८७. सत्तपएसिए णं भंते! खंधे पुच्छा।
गोयमा! सत्तपदेसिए णं खंधे सिय चरिमे 88180 १ नो अचरिमे २ सिए अवत्तव्वए 8088] ३ नो चरिमाइं ४ नो अचरिमाइं ५ नो अवत्तव्वयाई ६, सिय चरिमे य अचरिमे य
नविन ७ सिय चरिमे य अचरिमाइं च [विका ८ सिय चरिमाइं च अचरिमे य [8_8180] ९ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च [BIBI80|१०, सिय चरिमे य अवत्तव्वए य ह ११ सिय चरिमे य अवत्तव्वयाइं च न १२ सिय चरिमाइंच अवत्तव्वए य ०१३ सिय चरिमाइं
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च अवत्तव्वयाइं च ००० १४, नो अचरिमे य अवत्तव्वए य १५ नो अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च
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१६ नो अचरिमाइं च अवत्तव्व य १७ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च १८, सिय चरिमे अचरिमे य अवत्तव्वए यनि -१९ सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च - २० सिय चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वए य २१ नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च २२ सिय